जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश परराजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से डेपुटेशन पर गए अपने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रोहित कुमार और सिद्धार्थ महाजन को तत्काल वापस भेजने का अनुरोध किया है।
राज्य के कार्मिक विभाग ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदेश में वर्तमान में आईएएस अफसरों की गंभीर कमी है, जिसके चलते एक-एक अधिकारी को तीन-तीन और चार-चार विभागों की जिम्मेदारी दी जा रही है।
राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में हलचल तेज हो गई है। प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि सरकार ने इन्हीं दो अधिकारियों को समय से पहले वापस बुलाने का निर्णय क्यों लिया, जबकि उनकी डेपुटेशन अवधि अभी शेष है।
सूत्रों के अनुसार, आईएएस रोहित कुमार और आईएएस सिद्धार्थ महाजन दोनों वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) पर कार्यरत हैं।
रोहित कुमार (राजस्थान कैडर 2005 बैच) फिलहाल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
वहीं, सिद्धार्थ महाजन (राजस्थान कैडर 2003 बैच) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
राज्य सरकार का कहना है कि इन दोनों अधिकारियों की सेवाएं राजस्थान में महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर आवश्यक हैं, विशेषकर तब जबकि राज्य में कई विभागों में स्थायी सचिव या आयुक्त स्तर के अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं।
राजस्थान में आईएएस अधिकारियों की स्वीकृत संख्या 313 है, जबकि वर्तमान में करीब 250 अधिकारी ही कार्यरत हैं।इनमें से भी कई अधिकारी केंद्र सरकार, अन्य राज्यों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों में डेपुटेशन पर हैं। इस कमी के कारण राज्य सरकार को एक ही अधिकारी को कई विभागों का अतिरिक्त प्रभार सौंपना पड़ रहा है, जिससे कार्यकुशलता और निर्णय प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में कई विभागों में सचिव स्तर के अधिकारी नहीं हैं। शासन-प्रशासन में निरंतरता बनाए रखने और नीति-निर्माण में तेजी लाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तत्काल आवश्यकता है।”
इस निर्णय के राजनीतिक और प्रशासनिक निहितार्थों को लेकर सचिवालय में चर्चाएं तेज हैं।ब्यूरोक्रेसी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि दोनों अफसरों को समय से पहले बुलाने का कारण स्पष्ट नहीं है, क्योंकि राज्य से अन्य कई आईएएस अधिकारी भी केंद्र में तैनात हैं, जिनकी डेपुटेशन अवधि अधिक लंबी नहीं बची। सूत्रों के अनुसार सरकार चाहती है कि आगामी महीनों में महत्वपूर्ण विभागों में स्थायी नेतृत्व सुनिश्चित किया जाए। कुछ सूत्र यह भी बताते हैं कि दोनों अफसरों के कार्य अनुभव और प्रशासनिक दक्षता के चलते मुख्यमंत्री कार्यालय उन्हें राज्य में रणनीतिक जिम्मेदारियों पर तैनात करना चाहता है।
राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गए इस अनुरोध पर अब केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को निर्णय लेना है।केंद्र की मंजूरी मिलने पर ही दोनों अधिकारियों को राजस्थान कैडर में वापस बुलाया जा सकेगा। राज्य सरकार का यह कदम एक ओर जहां प्रशासनिक मजबूरी के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक मंशा से जोड़कर भी व्याख्यायित किया जा रहा है।