जयपुर। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कमजोरी और थकान स्वाभाविक मानी जाती है, लेकिन आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा मिलकर बताते हैं कि 65 साल के बाद भी स्वास्थ्य को मजबूत और जीवन को ऊर्जावान बनाया जा सकता है। महर्षि चरक और वाग्भट्ट जैसे आचार्यों ने स्वास्थ्य के तीन मूल नियम बताए—हित भुक्, मित भुक् और ऋत भुक्—जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
हित भुक् का अर्थ है ऐसा आहार ग्रहण करना जो शरीर के लिए हितकारी हो।
मित भुक् का मतलब है भोजन को सीमित मात्रा में लेना, ताकि पाचन तंत्र पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
ऋत भुक् का आशय है मौसम और ऋतु के अनुसार आहार ग्रहण करना।
ये तीनों नियम आयुर्वेद के गोल्डन रूल्स कहे जाते हैं। इनका पालन कर कोई भी व्यक्ति—चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो—स्वस्थ और ऊर्जावान रह सकता है।
65 साल के पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर स्वाभाविक रूप से घट जाता है। इसका असर थकान, कमजोरी और कामकाज में रुचि कम होने के रूप में दिखाई देता है।
प्राकृतिक उपाय: संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से टेस्टोस्टेरोन स्तर को प्राकृतिक रूप से बढ़ाया जा सकता है।
चिकित्सकीय परामर्श: हार्मोन टेस्ट और अन्य स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है, ताकि कमजोरी के वास्तविक कारण का पता लगाया जा सके। डॉक्टर की सलाह पर हार्मोन सप्लीमेंट या दवाइयाँ भी ली जा सकती हैं।
ध्यान रहे कि 21 वर्ष की उम्र में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सबसे ऊँचा होता है, लेकिन 35-40 साल की उम्र के बाद हर वर्ष यह धीरे-धीरे घटने लगता है।
संतुलित आहार – ताजा, मौसमी और पचने में आसान भोजन करें।
नियमित व्यायाम – हल्की दौड़, योग और प्राणायाम लाभकारी हैं।
पर्याप्त नींद – नींद की कमी थकान और हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकती है।
तनाव प्रबंधन – ध्यान और सकारात्मक सोच मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
चिकित्सकीय जांच – समय-समय पर ब्लड टेस्ट और हार्मोनल जांच करवाना जरूरी है।