जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने अनुसूचित जाति कर्मचारी संघ के सम्मेलन में दलितों से होने वाले भेदभाव और उनकी जमीनों पर कब्जे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि समाज में एकता केवल भाषणों और किताबों में दिखाई जाती है, जबकि हकीकत में कार्यस्थल से लेकर सामाजिक जीवन तक दलितों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
आर्य ने कहा कि सरकारी कार्यस्थलों पर भी यह भेदभाव स्पष्ट दिखाई देता है। कौनसी फाइल किसे दी जाएगी, किस पद पर किसे बैठाया जाएगा, यहां तक कि इंटरव्यू पैनल में किसे शामिल किया जाएगा – यह सब जातीय भेदभाव से प्रभावित होता है।
पूर्व मुख्य सचिव ने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनका गांव पाली जिले का रास है। वहां उनके दादाजी की जमीन पर पिछले 40 साल से सवर्ण समुदाय का कब्जा है। उन्होंने कहा कि मैं पिछले एक साल से प्रयास कर रहा हूं, लेकिन कब्जा खाली नहीं हो पा रहा। यह स्थिति तब है जब मैं आईएएस अधिकारी और मुख्य सचिव रह चुका हूं।
आर्य ने कहा कि जब वे गांव गए तो ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि उनके दादाजी ने कभी 50-100 रुपए उधार लिए होंगे और उसी बहाने से उनकी जमीन पर सवर्ण समुदाय ने कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि वे पांच जिलों में कलेक्टर रहे लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आई।
आर्य का यह वीडियो 21 सितंबर को सम्मेलन के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद से ही दलित अधिकार, सामाजिक भेदभाव और भूमि विवाद को लेकर गहन बहस छिड़ गई है।