जयपुर। बुधवार को राजस्थान विधानसभा में लंबी बहस के बाद कोचिंग रेगुलेशन बिल पारित कर दिया गया। प्रतिपक्ष ने बिल को प्रवर समिति (पर्वत समिति) को वापस भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून निश्चित रूप से आने वाले समय में कोचिंग संस्थानों में होने वाली आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने का काम करेगा।विपक्ष ने बिल को अफसरशाही बढ़ाने वाला बताया, जुर्माना कम करने और फीस नियंत्रण का अभाव उठाया मुद्दा
बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने कई गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने कहा कि यह बिल अफसरशाही को बढ़ावा देने वाला है।
हरीश चौधरी ने कहा कि कोचिंग इंडस्ट्री की चिंता तो सब कर रहे हैं, लेकिन बच्चों की चिंता कौन करेगा?
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि चाहे यह कितने भी हजार करोड़ की इंडस्ट्री हो, इसका उद्देश्य बच्चों को आत्महत्या की ओर धकेलना नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रवर समिति से बिल वापस लाकर जुर्माना कम कर दिया गया, जिससे कोचिंग संस्थानों को फायदा पहुँचा। जूली ने सवाल उठाया कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में पढ़ाने पर रोक क्यों नहीं लगाई गई? कोचिंग के दायरे में लाने वाले संस्थानों की छात्र संख्या क्यों बढ़ा दी गई? बच्चों की सुरक्षा और आत्महत्या रोकने के लिए पर्याप्त फोकस क्यों नहीं किया गया?