Wednesday, 03 September 2025

राजस्थान विधानसभा में कोचिंग रेगुलेशन बिल पारित, आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाने का दावा


राजस्थान विधानसभा में कोचिंग रेगुलेशन बिल पारित, आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाने का दावा

जयपुर। बुधवार को राजस्थान विधानसभा में लंबी बहस के बाद कोचिंग रेगुलेशन बिल पारित कर दिया गया। प्रतिपक्ष ने बिल को प्रवर समिति (पर्वत समिति) को वापस भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून निश्चित रूप से आने वाले समय में कोचिंग संस्थानों में होने वाली आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने का काम करेगा।

विपक्ष ने बिल को अफसरशाही बढ़ाने वाला बताया, जुर्माना कम करने और फीस नियंत्रण का अभाव उठाया मुद्दा

बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने कई गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने कहा कि यह बिल अफसरशाही को बढ़ावा देने वाला है।
हरीश चौधरी ने कहा कि कोचिंग इंडस्ट्री की चिंता तो सब कर रहे हैं, लेकिन बच्चों की चिंता कौन करेगा?
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि चाहे यह कितने भी हजार करोड़ की इंडस्ट्री हो, इसका उद्देश्य बच्चों को आत्महत्या की ओर धकेलना नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रवर समिति से बिल वापस लाकर जुर्माना कम कर दिया गया, जिससे कोचिंग संस्थानों को फायदा पहुँचा। जूली ने सवाल उठाया कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में पढ़ाने पर रोक क्यों नहीं लगाई गई? कोचिंग के दायरे में लाने वाले संस्थानों की छात्र संख्या क्यों बढ़ा दी गई? बच्चों की सुरक्षा और आत्महत्या रोकने के लिए पर्याप्त फोकस क्यों नहीं किया गया?

विकास और कोचिंग इंडस्ट्री:कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने कहा कि सीकर का विकास कोचिंग संस्थानों के कारण तेजी से हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी कोचिंग से फायदा लेकर अच्छे पदों पर पहुंचे हैं।

निर्दलीय विधायक की आपत्ति: निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि बिल में कोचिंग पर जुर्माना कम करके अप्रत्यक्ष लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा –फीस स्ट्रक्चर पर कोई प्रावधान नहीं है।
फीस के नाम पर लूट मची हुई है, लेकिन इस पर नियंत्रण का अभाव है।बिल का उद्देश्य अधूरा रह गया है क्योंकि फीस नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई।
आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता:
बहस के दौरान यह भी याद दिलाया गया कि हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक छात्रा कोचिंग सेंटर से कूदने वाली थी लेकिन शिक्षकों ने बचा लिया। कई जगह छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

अफसरशाही का आरोप: विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि बिल में जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है, लेकिन इनमें किसी जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया, सभी सदस्य अफसर ही हैं। विपक्ष का कहना है कि इससे अफसरशाही हावी होगी और जनप्रतिनिधियों की भूमिका नगण्य हो जाएगी।

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