हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिल्लाई क्षेत्र में एक अनोखा और ऐतिहासिक विवाह समारोह आयोजित हुआ, जहां दो सगे भाइयों—प्रदीप नेगी और कपिल नेगी—ने एक ही विवाह समारोह में सुनीता चौहान से शादी कर प्राचीन बहुपति प्रथा को सार्वजनिक रूप से अपनाया। यह विवाह तीन दिन तक पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य और सामूहिक भोज के साथ हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। विवाह समारोह न केवल परंपरा के पालन का उत्सव था, बल्कि सांस्कृतिक स्वीकृति, समानता और सम्मान का प्रतीक बन गया।
इस बहुपति विवाह में दुल्हन सुनीता ने स्पष्ट कहा कि यह उसका स्वतंत्र और सूचित निर्णय था, और उसे इस परंपरा की जानकारी पहले से थी। दोनों भाइयों ने इसे पारिवारिक सहमति, समझदारी और जिम्मेदारी का प्रतीक बताया। यह परंपरा खासकर हटी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान रही है, जिसका उद्देश्य सामाजिक संरचना में समरसता, भूमि के अनावश्यक बंटवारे से बचाव और विधवा महिलाओं की असुरक्षा को दूर करना रहा है।
आज जब ऐसे रीति-रिवाज छिपकर निभाए जाते हैं, तब इस खुले तौर पर किए गए विवाह ने एक नई बहस छेड़ दी है—क्या सहमति, गरिमा और पारदर्शिता पर आधारित परंपराओं को खुले दिल से अपनाया जा सकता है? यह विवाह समारोह उसी सवाल का एक साहसी और गौरवपूर्ण उत्तर प्रतीत होता है। हटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद उनकी सांस्कृतिक पहचान को लेकर एक नया आत्मविश्वास भी देखने को मिला है।
यह विवाह सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि तीन व्यक्तियों की समान भागीदारी, समाज की सहमति और एक समृद्ध विरासत को सम्मानपूर्वक जीवित रखने की मिसाल है। यह घटना बताती है कि गांव, परंपरा और आधुनिक सोच एक साथ चल सकते हैं, बशर्ते हर व्यक्ति की इच्छा, अधिकार और गरिमा का ध्यान रखा जाए।