नई दिल्ली राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री और बारां से पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। भाया ने अपनी याचिका में राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज 29 एफआईआर को एक साथ क्लब करने या रद्द करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने भाया को तत्काल राहत देने से इनकार करते हुए जांच पर रोक लगाने से मना कर दिया, लेकिन साथ ही यह भी निर्देश दिया कि प्रमोद जैन भाया सभी मामलों की जांच में पूर्ण सहयोग करें।
पूर्व मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि इन एफआईआर का मकसद सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध लेना है। रोहतगी ने कहा कि 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाया की हार और सत्ताधारी दल से बढ़ते मतभेदों के कारण यह पूरी कार्रवाई की गई है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि दर्ज की गई अधिकांश एफआईआर एक जैसी हैं, जिनमें मिलती-जुलती घटनाओं और आरोपों का उल्लेख किया गया है। इस आधार पर उन्होंने या तो सभी एफआईआर को मर्ज करने या फिर रद्द करने की मांग की।
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई में राजस्थान सरकार के जवाब पर विचार करेगा।