टोंक। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी आरती ने कहा कि "गुरु वह है जो हमें पूर्णता की ओर ले जाए, और पूर्णिमा वह अवस्था है जो हमें परिपूर्ण बना दे।" उन्होंने कहा कि संसार में अनेक गुरु हो सकते हैं, किंतु सद्गुरु एक ही है — परमपिता परमात्मा शिव, जो हमें दिव्य ज्ञान और सहज राजयोग के माध्यम से आत्मकल्याण की दिशा में प्रेरित करते हैं।
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए बीके आरती दीदी ने कहा कि पूर्णिमा का चंद्रमा जैसे पूर्ण और उज्ज्वल होता है, वैसे ही सद्गुरु के ज्ञान से आत्मा सोलह कलाओं से संपन्न और विकार रहित बन जाती है। वर्तमान समय में जब समाज तनाव, भय और असुरक्षा के माहौल से गुजर रहा है, ऐसे में यह आवश्यक है कि व्यक्ति सच्चे शांति स्रोत परमपिता परमात्मा से जुड़कर, आत्मिक बल प्राप्त करे।
उन्होंने कहा कि केवल ज्ञान को सुनना पर्याप्त नहीं, उसे जीवन में धारण करना ही आत्मकल्याण का मार्ग है। ऐसा करने से व्यक्ति के कर्मों में श्रेष्ठता, चिंतन में सकारात्मकता और समस्याओं से निपटने की शक्ति उत्पन्न होती है।
इस अवसर पर दीदी का 'अलौकिक जन्म दिवस' भी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह दिवस आरती दीदी के पिछले 13 वर्षों से परमपिता परमात्मा के ज्ञान यज्ञ में पूर्ण रूप से समर्पित रहने की स्मृति में मनाया गया। दीदी द्वारा समाज में प्रभु संदेश के प्रचार-प्रसार को लेकर किए जा रहे सेवा कार्यों की सराहना की गई।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु, राजयोग विद्यार्थी एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। आयोजन को अत्यंत सात्विक, आध्यात्मिक एवं प्रेरणास्पद वातावरण में संपन्न किया गया।