जयपुर। जयपुर साइबर क्राइम पुलिस ने "डिजिटल अरेस्ट" का डर दिखाकर देशभर में ठगी करने वाली एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गैंग का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह का सरगना, जो बेंगलुरु से पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहा था, उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा गैंग से जुड़े तीन अन्य सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जा चुका है।
गैंग अपने शिकार को नकली कॉल करके खुद को मुंबई पुलिस, सीबीआई अधिकारी, या कोर्ट से जुड़ा व्यक्ति बताकर धमकाते थे। वे पीड़ित को बताते कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग या साइबर अपराध हुआ है और उन पर गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। इससे पीड़ित डरकर नकली अदालत और वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' दिखाने पर यकीन कर लेते थे और ठगों के बताए बैंक खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर देते थे।
जयपुर साइबर क्राइम के एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि 23 मई को जयपुर के एक बुजुर्ग व्यक्ति को ऐसे ही फर्जीवाड़े का शिकार बनाया गया था। पीड़ित को एक व्यक्ति ने फोन पर खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी संजय कुमार बताया और कहा कि उनके नाम पर खरीदी गई एक मोबाइल सिम का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और अश्लील मैसेज भेजने में हुआ है। साथ ही कहा गया कि उनके खिलाफ 2.80 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है और गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो चुका है।
जांच में खुलासा हुआ कि यह गैंग चंडीगढ़, सोनीपत, रोहिणी (दिल्ली), पटना और बेंगलुरु समेत देश के कई शहरों में इसी तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुकी है। पुलिस को इन स्थानों से भी आरोपियों के खिलाफ शिकायतें और प्राथमिकियां मिली हैं। गैंग अत्याधुनिक तकनीक और नकली दस्तावेजों का सहारा लेकर लोगों को भ्रमित करता था।
जयपुर पुलिस की इस कार्रवाई से देशभर में फैली इस साइबर फ्रॉड की श्रृंखला को रोकने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है।