जयपुर। राजस्थान सरकार, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में, राज्य के वंचित और जरूरतमंद वर्गों तक योजनाओं का वास्तविक लाभ पहुँचाने हेतु सतत प्रयासरत है। मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकारी योजनाओं से केवल उन्हीं व्यक्तियों को लाभ मिले जो वास्तव में पात्र हैं, ताकि अंतिम पंक्ति के लोग भी समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित हो सकें।
इसी दिशा में खाद्य विभाग द्वारा “गीव अप अभियान” चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से राज्य के सक्षम अथवा अपात्र लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा योजना से स्वेच्छा से नाम हटवाने का अवसर दिया गया है। राजस्थान खाद्य सुरक्षा नियम, 2023 की अनुसूची-1 में स्पष्ट किया गया है कि आयकरदाता, सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारियों वाले परिवार, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक है या जिनके पास चार पहिया वाहन है (ट्रैक्टर जैसे जीविकोपार्जन हेतु प्रयुक्त वाहनों को छोड़कर), वे खाद्य सुरक्षा योजना के लिए अयोग्य हैं।
1 नवम्बर 2024 से प्रारंभ हुए इस अभियान के अंतर्गत अब तक 22 लाख 32 हजार व्यक्तियों ने स्वेच्छा से योजना का लाभ छोड़ दिया है, जिससे राज्य सरकार पर लगभग 409.39 करोड़ रुपये वार्षिक का वित्तीय भार कम हुआ है। यह अभियान पारदर्शिता और न्यायपूर्ण वितरण व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अब राज्य सरकार ने अपात्र लाभार्थियों को 31 अगस्त 2025 तक का अंतिम अवसर दिया है कि वे स्वयं योजना से बाहर हो जाएं। इसके बाद, 1 सितम्बर से ऐसे लाभार्थियों से वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी। खाद्य विभाग द्वारा पहले ही अपात्र लोगों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं और आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।
खाद्य विभाग के अधिकारी प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान पर औचक निरीक्षण कर अपात्र लाभार्थियों की पहचान करेंगे। साथ ही, परिवहन विभाग से चार पहिया वाहन स्वामियों की जानकारी लेकर उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे। अपात्र लोगों से राशन का लाभ लेने के एवज में वसूली की जाएगी, जिससे राज्य में खाद्य सुरक्षा व्यवस्था और अधिक प्रभावी और न्यायसंगत हो सके।