Wednesday, 02 July 2025

एम्स जोधपुर की निकाय बैठक में सांसद हनुमान बेनीवाल का तीखा तेवर: भ्रष्टाचार, अनियमित नियुक्तियों और निर्माण खामियों पर उठाए गंभीर सवाल


एम्स जोधपुर की निकाय बैठक में सांसद हनुमान बेनीवाल का तीखा तेवर: भ्रष्टाचार, अनियमित नियुक्तियों और निर्माण खामियों पर उठाए गंभीर सवाल

जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की संस्थान निकाय की बैठक में नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने कई गंभीर मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने संस्थान में भ्रष्टाचार, अनियमित नियुक्तियों, मास्क और सॉफ़्टवेयर खरीद में गड़बड़ी, और निर्माणाधीन ट्रॉमा एवं क्रिटिकल केयर ब्लॉक की व्यावहारिक कमियों पर खुलकर सवाल किए।

बैठक में एम्स अध्यक्ष डॉ. एसएस अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पूरी, और उप निदेशक (प्रशासन) मनु मनीष गुप्ता ने सांसद का स्वागत किया।

भ्रष्टाचार और गबन का मुद्दा: बेनीवाल ने वर्ष 2020 में शास्त्री नगर थाने में दर्ज रिसर्च सेक्शन में 20 लाख रुपए के गबन के मामले का हवाला देते हुए सवाल किया कि अब तक एम्स प्रबंधन ने इस मामले में कोई आंतरिक जांच क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि संबंधित लेखाधिकारी को न सिर्फ पदोन्नति दी गई, बल्कि उसे डीन जैसे पदों तक पहुंचाया गया, जिससे निष्पक्ष जांच ही नहीं हो सकी।

उन्होंने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की सीवीसी या सीएजी जैसी स्वतंत्र संस्था से जांच करवाई जाए और रिपोर्ट समिति को सौंपी जाए।

अनियमित नियुक्तियों पर सवाल: सांसद ने कहा कि वरिष्ठता और योग्यता की अनदेखी कर डीन, वाइस डीन, सब डीन और असिस्टेंट डीन की नियुक्तियां की गईं, जिनमें कई पदों पर बिना प्रशासनिक अनुभव वाले लोग नियुक्त किए गए। उन्होंने पूर्व निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा पर आईबी समिति को गुमराह कर नियमों के विपरीत कार्य करवाने का आरोप भी लगाया।

ट्रॉमा और क्रिटिकल केयर ब्लॉक पर चिंता: बेनीवाल ने निर्माणाधीन ट्रॉमा ब्लॉक और क्रिटिकल केयर ब्लॉक की डिजाइन में व्यावहारिक कमियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भवन में डिज़ास्टर जोन, ब्लड बैंक, प्रयोगशाला, प्रतीक्षालय, मेडिकल और सर्जिकल स्टोर जैसी सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने चेताया कि भवन की वर्तमान संरचना के चारों ओर पहले से मौजूद इकाइयों के चलते भविष्य में कोई विस्तार संभव नहीं होगा, इसलिए अभी की स्थिति में ही सभी जरूरतें पूरी की जानी चाहिए।

अन्य मुद्दों पर भी तीखे सवाल:ICMR के टाइप-1 इंसुलिन प्रोजेक्ट को 9 महीनों तक लटकाने पर नाराजगी जताई।
मस्कुलर एट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज को प्राथमिकता देने की मांग की। कोरोना काल में मास्क की खरीद में हुई अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच की मांग की।


Previous
Next

Related Posts