Thursday, 26 June 2025

राजस्थान की सहकारी बैंकों में एमडी नियुक्तियों पर उठे सवाल: आधे से अधिक बैंक अधिकारी "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड पर खरे नहीं


राजस्थान की सहकारी बैंकों में एमडी नियुक्तियों पर उठे सवाल: आधे से अधिक बैंक अधिकारी "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड पर खरे नहीं

राजस्थान में अपेक्स बैंक और 29 केन्द्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) में प्रबंध निदेशक (एमडी) नियुक्त करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट और सहकारिता अधिनियम की अनदेखी करते हुए सरकार ने कई स्थानों पर ऐसे एमडी नियुक्त कर दिए हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के "फिट एंड प्रॉपर" मानदंडों को पूरा नहीं करते।

नाबार्ड को भेजी गई 30 जून 2025 की रिपोर्ट में खुद अपेक्स बैंक ने यह स्वीकार किया है कि राज्य के 17 सहकारी बैंकों के एमडी पात्र नहीं हैं, जबकि सिर्फ 12 बैंकों में आरबीआई के नियमों के अनुसार पात्रता रखने वाले एमडी कार्यरत हैं। भरतपुर बैंक के एमडी शिवदयाल को हाल ही में एपीओ कर दिया गया है, जबकि उनका स्थान लेने वाले दौसा बैंक के एमडी रोहित सिंह पात्रता मापदंड पूरे नहीं करते।

बैंकिंग विशेषज्ञों की अनदेखी कर, राजनीतिक या व्यक्तिगत पसंद के आधार पर एमडी नियुक्त किए जा रहे हैं, जिससे पूरे सहकारी बैंकिंग ढांचे की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

वर्तमान में केवल अपेक्स बैंक के एमडी संजय पाठक की नियुक्ति आरबीआई दिशा-निर्देशों के अनुसार हुई है, जिनका कार्यकाल अगस्त 2025 तक मान्य है।

आरबीआई की स्वीकृति आवश्यक, फिर भी प्रक्रिया का उल्लंघन: आरबीआई ने पहले ही स्पष्ट रूप से राजस्थान अपेक्स बैंक को सूचित किया था कि बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के तहत सभी राज्य व केन्द्रीय सहकारी बैंकों पर RBI की निगरानी लागू होती है। आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी एमडी की नियुक्ति तब तक वैध नहीं मानी जाएगी जब तक आरबीआई की पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं होती।

इसी विषय में नाबार्ड ने 2 अप्रैल 2024 को राज्य सरकार को एक सर्कुलर भेजा था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी पात्र आवेदकों की सूची आरबीआई को भेजी जाए और केवल आरबीआई द्वारा अनुमोदित व्यक्ति की ही नियुक्ति की जाए।

सरकार का पक्ष: इस मुद्दे पर राज्य के सहकारिता मंत्री गौतम दक का कहना है कि “हम आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार ही एमडी नियुक्त करते हैं, लेकिन अधिकारियों की कमी रहती है, इसमें जल्द सुधार किया जाएगा।” हालांकि, हकीकत यह है कि अधिकांश नियुक्तियां गाइडलाइंस के विरुद्ध की गई हैं।

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