Saturday, 19 April 2025

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती:असहमति हमारी संस्कृति का हिस्सा है: आरिफ मोहम्मद खान


 पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती:असहमति हमारी संस्कृति का हिस्सा है: आरिफ मोहम्मद खान

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की 98 वीं जयंती के अवसर पर राजस्थान विधानसभा स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान में आयोजित ‘असहमति और लोकतंत्र’ विषयक व्याख्यानमाला में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय परंपरा में असहमति के महत्व पर गहन विचार साझा किए।

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हमारे देश में 'टॉलरेंस' की बात तो होती है, लेकिन वास्तव में सहिष्णुता की संस्कृति हमारे व्यवहार में नहीं दिखती।" उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में असहमति नकारात्मकता नहीं, बल्कि बौद्धिक परंपरा का हिस्सा है।

उन्होंने रामायण, गीता और उपनिषदों के उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे ग्रंथ हमें संवाद, विमर्श और प्रश्न पूछने की परंपरा सिखाते हैं। उन्होंने महाभारत के धर्मराज युधिष्ठिर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे स्वयं धर्म की व्याख्याओं से उलझे, तो उन्होंने भीष्म पितामह से यह प्रश्न किया कि 'सर्वश्रेष्ठ धर्म कौन-सा है?'

रामायण के संदर्भ में, उन्होंने कहा कि जब राजा दशरथ के वचनों के कारण भगवान राम को वनवास मिला और भरत को राज्य सौंपा गया, तब भरत ने पिता के आदेश और मां की इच्छा का विरोध किया, उन्हें अस्वीकार किया। यह असहमति का सर्वोच्च उदाहरण है, जिसे भारतीय मानस में बहुत कम समझा गया।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भरत ने राज्य स्वीकार नहीं किया, बल्कि राम की पादुकाएं सिंहासन पर रखकर प्रतीकात्मक रूप से सत्ता राम को समर्पित कर दी। यह असहमति, आलोचना नहीं थी, बल्कि सिद्धांत और मूल्य आधारित मतभेद था।

लोकतंत्र पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत में आजादी के बाद लोकतंत्र आया, और असहमति उसी लोकतंत्र का अनिवार्य अंग है। बिना असहमति के लोकतंत्र एकमत में बदल जाता है, जो लोकतंत्र की आत्मा के विपरीत है।

इस व्याख्यानमाला का आयोजन प्रोग्रेसिव राइटर्स क्लब एसोसिएशन द्वारा किया गया, जिसके अध्यक्ष लोकेश कुमार सिंह 'साहिल' हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर्गीय चंद्रशेखर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुआ।

समारोह के अध्यक्ष के रूप में पूर्व सांसद एवं समाजसेवी पंडित रामकिशन मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथियों में सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ उपस्थित रहे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकारों, पत्रकारों और प्रबुद्धजनों की उपस्थिति रही।
लोकेश कुमार सिंह 'साहिल' द्वारा राज्यपाल को सूत की माला व तिरंगा अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया।


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