राज्य को प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में राजस्थान सरकार ने एक अभिनव पहल की है। शनिवार को शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने बारां के मिनी सचिवालय सभागार, कलेक्ट्रेट परिसर में 'बर्तन बैंक योजना' का शुभारंभ किया। यह योजना मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है।
इस योजना के तहत ग्राम पंचायतों से केवल ₹3 किराए पर शादी, सामाजिक समारोह एवं अन्य आयोजनों के लिए बर्तन सेट किराए पर लिए जा सकेंगे।
प्रथम चरण में बारां जिले की 24 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है, जबकि भविष्य में जिले की सभी ग्राम पंचायतों में इसे लागू किया जाएगा।
1 थाली
3 कटोरी
1 गिलास
1 चम्मच
हर बर्तन पर ग्राम पंचायत का नाम और ‘स्वच्छ भारत मिशन’ अंकित रहेगा। प्रत्येक पंचायत में 400 सेट रखे जाएंगे। पांच वर्ष बाद खराब बर्तनों को बदला जाएगा, परंतु अच्छी स्थिति वाले बर्तन आगे भी उपयोग किए जाएंगे।
बीपीएल, अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांगजन को 50% किराए में छूट मिलेगी। बर्तनों की देखरेख स्वयं सहायता समूहों को सौंपी जाएगी और संचालन 'राजीविका' के माध्यम से किया जाएगा। यदि कोई बर्तन टूटता या खो जाता है तो उपयोगकर्ता से उसकी भरपाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने प्रत्येक चयनित ग्राम पंचायत को इस योजना के सुगठित संचालन के लिए ₹1 लाख की अनुदान राशि देने का निर्णय लिया है। इससे न केवल प्लास्टिक के उपयोग में भारी कमी आएगी, बल्कि गांवों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण को भी बल मिलेगा।
मदन दिलावर ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य ग्राम स्तर तक पर्यावरणीय चेतना फैलाना है। "बर्तन बैंक जैसे छोटे प्रयास भी जब सामूहिक रूप से किए जाते हैं तो उनका असर बड़ा और दूरगामी होता है। यह योजना स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता को मजबूत करेगी।"