राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को विधानसभा का दौरा किया और मीडिया से बातचीत में कई अहम मुद्दों पर सरकार को घेरा। उन्होंने राज्य की योजनाओं, किसान आंदोलन और गोविंद सिंह डोटासरा प्रकरण को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गवर्नेंस कमजोर हो गया है और कई जरूरी योजनाएं ठप पड़ी हैं।
अशोक गहलोत ने दावा किया कि उनकी सरकार की योजनाएं इतनी प्रभावी थीं कि आज भी पूरे देश में उनकी चर्चा होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि नई सरकार आने के बाद प्रशासनिक मशीनरी कमजोर पड़ गई है, जिससे कई विकास कार्य रुक गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष जनता की समस्याओं को उठाने का काम कर रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष विपक्ष की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने सरकार से सहयोगात्मक रवैया अपनाने की अपील की और कहा कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का समान महत्व होता है।
गहलोत ने कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा और छह विधायकों के निष्कासन को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि "बिना विपक्ष के लोकतंत्र अधूरा है, लेकिन मौजूदा सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने में लगी हुई है।"
उन्होंने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि डोटासरा को टारगेट करके बहस करवाई गई, जिससे साफ है कि सरकार में अनुभव और मार्गदर्शन की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी निष्कासन हुए थे, लेकिन कुछ ही दिनों में वापस ले लिए गए थे, जबकि अब सत्ता पक्ष पूरी तरह से विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रहा है।
अशोक गहलोत ने किसान आंदोलन को लेकर भी बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि "यह देश का सबसे बड़ा किसान आंदोलन था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।"
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब खुद एमएसपी कानून बनाने की मांग करते थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने सरकार से किसानों की मांगों को प्राथमिकता देने की अपील की और कहा कि सरकार केवल दिखावे की राजनीति कर रही है।
अशोक गहलोत ने उम्मीद जताई कि राजस्थान की बीजेपी सरकार जनहित में सही निर्णय लेगी और विपक्ष की भूमिका को महत्व देगी। उन्होंने कहा कि "हम सत्ता पक्ष को सही दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने में लगी हुई है।