Thursday, 17 April 2025

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2022 के अभ्यर्थियों को दी राहत, बिना सुनवाई कार्रवाई पर रोक


राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2022 के अभ्यर्थियों को दी राहत, बिना सुनवाई कार्रवाई पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2022 में आवेदन पत्र में गलत जानकारी और दस्तावेजों के मिसमैच को लेकर जारी किए गए बर्खास्तगी नोटिस के मामले में अभ्यर्थियों को राहत दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार पीटीआई पद पर कार्यरत शिक्षकों को मनमाने तरीके से नहीं हटा सकती। साथ ही, हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी अभ्यर्थी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उनके दस्तावेजों की पूरी जांच की जाए और व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया जाए।

अदालत का महत्वपूर्ण निर्देश

जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने हंसराज गुर्जर और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया अपनाए और अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिए बिना सेवा से हटाने की कार्रवाई नहीं की जा सकती।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आर.पी. सैनी ने अदालत को बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 16 जून 2022 को पीटीआई (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) के 5546 पदों पर भर्ती निकाली थी। इस भर्ती में चयन का आधार लिखित परीक्षा था। याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में सफल होकर 15 दिसंबर 2023 को नियुक्ति प्राप्त की थी।

हालांकि, 24 दिसंबर 2023 को विभाग ने उन्हें नोटिस जारी कर आवेदन पत्र में गलत जानकारी देने और दस्तावेजों में मिसमैच का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्यों ना उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाए।

अभ्यर्थियों का पक्ष

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीपीएड (BP.Ed) की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बावजूद राज्य सरकार और चयन बोर्ड ने पहले दो से तीन बार जांच करने के बाद ही उनकी नियुक्ति की थी। इसलिए अब उन्हें हटाने का कोई औचित्य नहीं है।

अभ्यर्थियों ने यह भी तर्क दिया कि सरकारी कर्मचारियों पर सेवा समाप्ति जैसी कार्रवाई केवल सीसीए नियमों (CCA Rules) के तहत ही की जा सकती है। इसलिए उन्हें सेवा में बनाए रखा जाए।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से पेश पक्ष में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के आवेदन पत्र और उनके मूल दस्तावेजों में अंतर पाया गया है। इसलिए उन्हें सेवा से हटाने का नोटिस दिया गया था।

हाईकोर्ट का फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी अभ्यर्थी को बिना उचित जांच और सुनवाई का अवसर दिए सेवा से नहीं हटाया जा सकता। अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार और विभाग पहले सभी दस्तावेजों की पुनः जांच करे और अभ्यर्थियों को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का मौका दे।

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