राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के बीच खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को लेकर भारी आक्रोश है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) ने इस रिपोर्ट को कर्मचारियों के साथ छलावा बताते हुए 6 फरवरी 2025 को वित्त भवन के सामने इसकी प्रतियां जलाने का निर्णय लिया है।
सावंत कमेटी और खेमराज कमेटी पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन सरकारी कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली।
प्रत्येक वार्ता में कर्मचारी संगठनों को 5000 से 10000 रुपए तक खर्च उठाना पड़ा, लेकिन सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया।
संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
मंत्रालयिक कर्मचारियों को दूसरी पदोन्नति पर ग्रेड पे 4200 और सचिवालय के समान वेतनमान मिले।
सभी कर्मचारियों को एसीपी (ACP) 8, 16, 24 और 32 वर्षों की सेवा पर चयनित वेतनमान दिया जाए।
निविदा कर्मचारियों के लिए REXCO की तर्ज पर RLSCDC का गठन किया जाए।
बोर्ड और निगमों का निजीकरण रोका जाए तथा नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
आइसोलेटेड पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ एसीपी की अवधि से पहले दिया जाए।
जो अधिकारी पदोन्नति में देरी कर कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।
सरकारी कार्य में बाधा डालने वाले नेताओं के खिलाफ भी सख्त कानूनी प्रावधान किए जाएं।
सरकार की इस उदासीनता के विरोध में कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह पर हैं।
महासंघ ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
7 और 8 फरवरी – विभागों में सभाएं आयोजित कर कर्मचारियों को आंदोलन के लिए तैयार किया जाएगा।
अगले चरण में विधानसभा के बाहर बड़ा प्रदर्शन किया जा सकता है।
महासंघ ने मांग की कि सरकारी कार्यों में बाधा पहुंचाने वाले नेताओं और कर्मचारियों के हितों का नुकसान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।
यदि सरकार जल्द कोई उचित निर्णय नहीं लेती है, तो विधानसभा के बाहर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा और सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
अब देखना यह होगा कि क्या सरकार सरकारी कर्मचारियों की इन मांगों को मानकर कोई बड़ा फैसला लेती है, या फिर राज्य में आंदोलन और उग्र रूप लेगा।