राजस्थान सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीदने की योजना फिलहाल टाल दी है। सरकार का कहना है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सहित अन्य सरकारी योजनाओं में बाजरे की मांग नहीं है। ऐसे में बाजरे की खरीद के बाद इसे खपाने का कोई प्रभावी माध्यम नहीं होगा, और इससे वित्तीय भार भी बढ़ेगा।
विधायकों के सवाल: बजट सत्र के दौरान विधायकों रितु बनावत और हरलाल सहारण ने बाजरे की खरीद पर सवाल उठाए थे।
सरकार का रुख:हर साल राजस्थान में 40-45 लाख मैट्रिक टन बाजरे का उत्पादन होता है।वर्ष 2023-24 में 43.82 लाख मैट्रिक टन और 2022-23 में 59.18 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ।बाजरे की सरकारी खरीद पर खपत और वित्तीय भार की समस्या को देखते हुए सरकार ने इसे अव्यवहारिक करार दिया।
बाजरे की डिमांड:बाजरे का उपयोग मुख्य रूप से कृषि आधारित उद्योगों और ग्रामीण क्षेत्रों में होता है।शहरी क्षेत्रों में खपत कम होने के कारण बाजरे को स्टॉक करना मुश्किल हो सकता है।
वित्तीय भार: बाजरे की खरीद के लिए सरकार पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा, जो राज्य के बजट पर असर डाल सकता है।
किसानों की निराशा: समर्थन मूल्य पर बाजरे की सरकारी खरीद नहीं होने से किसानों को बाजरे की फसल का सही मूल्य नहीं मिल सकेगा।