राइजिंग राजस्थान समिट के दूसरे दिन मंगलवार को "एजुरिवॉल्यूशन: शिक्षा एवं अवसर" सत्र संपन्न हुआ। इस सत्र में उप मुख्यमंत्री एवं उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा, स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, और विभिन्न शिक्षाविद्, शिक्षा व्यवसाय से जुड़े उद्योगपति एवं अधिकारी शामिल हुए।
सत्र के दौरान वक्ताओं ने शिक्षा में सुधार, तकनीकी समावेश, व्यावसायिक प्रशिक्षण, औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारण, और रोजगारपरक शिक्षा पर अपने विचार रखे।
उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा का वक्तव्य:मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा और अवसरों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार सत्र में प्राप्त सुझावों को कार्ययोजना में शामिल करेगी।
नई शिक्षा नीति के तहत व्यावसायिक और तकनीकी कोर्सेज़ मातृभाषा में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
सरकारी कॉलेजों के लिए "कायाकल्प योजना" के तहत आधुनिक प्रयोगशालाएं और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
फिनिशिंग स्कूल और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए नवाचार केंद्र स्थापित किए गए हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का वक्तव्य:
बाल वाटिकाओं की शुरुआत से छोटे बच्चों के लिए समग्र शिक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
80 लाख विद्यार्थी 65,000 सरकारी विद्यालयों में नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
घुमंतू समुदायों के बच्चों के लिए मोबाइल स्कूल की योजना बनाई गई है।
अन्य वक्ता और सुझाव:
डेनमार्क दूतावास के व्यापार प्रमुख श्री सोरेन नोरेलुंड ने व्यावसायिक शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार ने उच्च शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया।
वनस्थली विद्यापीठ के सीईओ श्री अभिषेक पारीक और कोर्सेरा के प्रबंध निदेशक राघव गुप्ता ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के सुझाव दिए।
सत्र में दिए गए सुझावों को राज्य सरकार शिक्षा की कार्ययोजना में शामिल करेगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में सुधार से राजस्थान का हर विद्यार्थी वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकेगा।