झुंझुनू के राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। एक व्यक्ति को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया, दूसरे डॉक्टर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर दी, और जब उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, तो चिता पर लेटते ही वह जीवित हो गया और हिलने लगा। इस घटना ने चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
जिला कलक्टर रामावतार मीणा ने पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। प्रारंभिक जांच के बाद, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया।
निलंबन और कार्रवाई:
निलंबन के दौरान डॉ. पचार का मुख्यालय जैसलमेर, डॉ. जाखड़ का मुख्यालय बाड़मेर और डॉ. मील का मुख्यालय जालोर सीएमएचओ कार्यालय बनाया गया है।
डॉ. जाखड़ मंडेला में तैनात थे, लेकिन उन्हें कार्यव्यवस्था के तहत बीडीके अस्पताल में लगाया गया था।
यह घटना डॉक्टरों की कार्यशैली और चिकित्सा प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
प्रशासन की सख्ती:
जिला कलक्टर ने चिकित्सा महकमे को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
मामले का असर:
इस घटना ने जनता और चिकित्सा समुदाय के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। चिकित्सा क्षेत्र में ऐसी लापरवाही ने डॉक्टरों और अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।