राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर बुधवार को होने वाले उपचुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदान होगा, जिसमें सातों सीटों - सलूंबर, चौरासी, झुंझुनूं, रामगढ़, खींवसर, दौसा और देवली-उनियारा - पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
इन उपचुनावों में सभी सीटें सरकार और विपक्ष दोनों के राजनीतिक नरेटिव को प्रभावित करेंगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा भी इन उपचुनावों से जुड़ी है, और विशेष रूप से खींवसर की हॉट सीट पर मुकाबला बेहद तीखा है। खींवसर में भाजपा प्रत्याशी रेवत राम डांगा, कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी और आरएलपी की कनिका बेनीवाल के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है।
दौसा: भाजपा उम्मीदवार जगमोहन मीणा और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के बीच कड़ा मुकाबला। सवर्ण और दलित वोटर्स की लामबंदी यहां नतीजे तय करेगी।
रामगढ़: कांग्रेस के आर्यन खान और भाजपा के सुखवंत सिंह में टक्कर। धार्मिक गोलबंदी इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
देवली-उनियारा: कांग्रेस के केसी मीणा, भाजपा के राजेंद्र गुर्जर और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच मुकाबला। बागी निर्दलीय उम्मीदवार के वोट यहां हार-जीत का फर्क बना सकते हैं।
खींवसर: चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने अपनी जीत की गारंटी दी और कहा कि हारने पर वह मूंछें और बाल मुंडवाकर चौक में खड़े हो जाएंगे। यहां भाजपा प्रत्याशी रेवत राम डांगा की पत्नी गीता डांगा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित किया गया है।
सलूंबर: भाजपा, कांग्रेस और बीएपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला। भाजपा को सहानुभूति फैक्टर का लाभ मिलने की उम्मीद।
चौरासी: कांग्रेस, भाजपा और बीएपी के नए उम्मीदवारों के बीच टक्कर। यह सीट दोनों पार्टियों के लिए चुनौती बनी हुई है।
सियासी माहौल और भविष्य का असर: इन उपचुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए सियासी प्रशिक्षण के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। हालांकि सरकार पर इन चुनावों का विशेष असर नहीं पड़ेगा, लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा सहित अन्य नेताओं की राजनीतिक साख पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। भाजपा यदि एक से अधिक सीटों पर जीत हासिल करती है, तो इसे राज्य सरकार की कार्यशैली पर जनता की स्वीकृति माना जाएगा।