Friday, 06 December 2024

राजस्थान सरकार ने एकल पट्टा मामले में लिया यू-टर्न, सुप्रीम कोर्ट में शांति धारीवाल सहित तीन अधिकारियों पर केस का समर्थन


राजस्थान सरकार ने एकल पट्टा मामले में लिया यू-टर्न, सुप्रीम कोर्ट में शांति धारीवाल सहित तीन अधिकारियों पर केस का समर्थन

राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख बदलते हुए नया एफिडेविट प्रस्तुत किया है। इस एफिडेविट में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल, तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी पर केस बनता है, ऐसा कहा गया है। सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा केस वापस लेने के फैसले का विरोध करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने की अपील की है, जिसने धारीवाल को राहत दी थी।

यह प्रकरण 29 जून 2011 से शुरू हुआ था, जब जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग को एकल पट्टा जारी किया था। इस पर परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी समेत शैलेंद्र गर्ग और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। एसीबी ने इनके खिलाफ चालान पेश किया था और 25 मई 2013 को विवाद बढ़ने पर एकल पट्टा निरस्त कर दिया गया था।

हालांकि, 22 अप्रैल 2024 को राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए इस प्रकरण में सभी को क्लीन चिट दे दी थी, जिसमें यह कहा गया था कि इस मामले में कोई ठोस आरोप नहीं बनता। लेकिन अब सरकार ने अपना स्टैंड बदलते हुए नए एफिडेविट में धारीवाल सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है।

सरकार के इस यू-टर्न के पीछे अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह नहीं ली गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि एसीबी की तीन क्लोजर रिपोर्ट, जिनमें धारीवाल और अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई थी, वे अपर्याप्त तथ्यों पर आधारित थीं और उन्हीं से प्रभावित थीं।

हाईकोर्ट ने 17 जनवरी 2023 को संधू, दिवाकर और सैनी के खिलाफ केस वापस लेने के फैसले को सही ठहराया था। एएजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस प्रकरण की समीक्षा के बाद इसे फिर से ट्रायल कोर्ट में भेजा जाना चाहिए।

पूर्व वसुंधरा सरकार के दौरान 3 दिसंबर 2014 को इस मामले में एसीबी ने जांच शुरू की थी और गहलोत सरकार में आते ही एसीबी ने तीन क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन अब इस यू-टर्न से मामले में नए मोड़ की संभावना है और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आगे की कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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