Sunday, 24 November 2024

धौलपुर के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा का निधन, प्रदेशभर में शोक की लहर


धौलपुर के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा का निधन, प्रदेशभर में शोक की लहर

राजस्थान के धौलपुर जिले के ब्राह्मण समाज के प्रमुख नेता और पांच बार के विधायक, पूर्व राज्य मंत्री बनवारी लाल शर्मा का बुधवार को हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से धौलपुर जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। शर्मा का अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह 9 बजे चंबल स्थित मुक्तिधाम पर किया जाएगा, जिसमें विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक नेताओं के शामिल होने की संभावना है।

बनवारी लाल शर्मा का जन्म 1 दिसंबर 1940 को हुआ था। वे धौलपुर की राजनीति में एक प्रमुख और बेदाग छवि वाले नेता के रूप में जाने जाते थे। शर्मा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1967 में की, जब वे पहली बार धौलपुर से विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने 1967 से 2008 तक पांच बार धौलपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहीं, जिनमें प्रमुख रूप से 1980 में वसुंधरा राजे को चुनाव में हराकर एक बड़ी जीत दर्ज करना शामिल है। इसके अलावा, 1990 के चुनाव में उन्होंने भैरों सिंह शेखावत को भी कड़ी चुनौती दी थी।

राजनीतिक विरासत और प्रमुख पदों पर सेवा:
बनवारी लाल शर्मा को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता जगन्नाथ प्रसाद शर्मा धौलपुर की राजनीति के चाणक्य माने जाते थे, जिनका तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से करीबी रिश्ता था। बनवारी लाल शर्मा ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए धौलपुर और राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कांग्रेस सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में उन्होंने जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा, वे राजस्थान विधानसभा में संसदीय परामर्शदात्री समिति, सरकारी आश्वासन समिति, विशेषाधिकार समिति, राजकीय उपक्रम समिति और अधीनस्थ विधान समिति के सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे।

राजनीतिक जीवन में उल्लेखनीय मुकाबले:
बनवारी लाल शर्मा का राजनीतिक जीवन कई महत्वपूर्ण चुनावी मुकाबलों से भरा रहा। 1980 में उन्होंने वसुंधरा राजे को हराकर राजनीतिक जगत में बड़ा नाम कमाया। इसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भैरों सिंह शेखावत को भी कड़ी टक्कर दी थी। उनकी बेदाग छवि और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें राजनीति के शिखर पर पहुंचाया। वे राजस्थान के ब्राह्मण समाज के कद्दावर नेता माने जाते थे, और उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। वसुंधरा राजे और भैरों सिंह शेखावत के साथ चुनावी मुकाबलों के बावजूद उनके आपसी संबंध पारिवारिक और घनिष्ठ रहे।

सामाजिक और खेल जगत में योगदान:
राजनीति के अलावा बनवारी लाल शर्मा ने सामाजिक और खेल जगत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के अलावा राजस्थान कबड्डी संघ के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में धौलपुर जिले में खेल और सामाजिक गतिविधियों को नई दिशा मिली। उनके निधन से समाज और खेल जगत में भी शोक की लहर है।

राजनीतिक जगत में शोक:
पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा के निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, और खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सहित प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि "शर्मा जी का निधन प्रदेश की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने हमेशा जनता के हित में कार्य किया और उनका योगदान अमूल्य है।"

अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि:
बनवारी लाल शर्मा का अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह 9 बजे चंबल स्थित मुक्तिधाम पर किया जाएगा। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए प्रदेश के कई नेता और स्थानीय लोग पहुंचेंगे। उनके निधन से धौलपुर और राजस्थान की राजनीति में एक खालीपन आ गया है, जिसे भरना मुश्किल होगा।

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