पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने 600 साल पुरानी बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को नियमों के उल्लंघन के साथ ध्वस्त करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कोटा विकास प्राधिकरण ने धरोहर को अपमानजनक तरीके से नष्ट किया, जो समाज और जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। राठौड़ ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की और यूनेस्को से इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने की अपील की।
उन्होंने राज्य सरकार से राव सूरजमल हाड़ा के नाम पर पैरोनमा बनाने और भविष्य में ऐसी धरोहरों से छेड़छाड़ रोकने की भी मांग की।
शुक्रवार को होटल अनंता में पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि महाराजा सूरजमल जी की 600 वर्ष पुरानी छतरी को कोटा विकास प्राधिकरण के गैर जिम्मेदार अधिकारियों के आदेश पर प्राचीन धरोहरों को विस्थापित करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करते हुए अपमानजनक तरीके से जेसीबी चलाकर तहस नहस कर दिया गया है, जो प्रदेश, देश व विश्व स्तर की उन्नत ऐतिहासिक धरोहर के प्रति अपराध दर्शाता है। जबकि एक जिम्मेदार सरकार का कर्त्तव्य होता है की वो अपने गौरवशाली इतिहास को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए संजो कर रखे, लेकिन यह जानकार बहुत दुःख हुआ की राजस्थान सरकार इसमें पूरी तरह विफल रही है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश, मुख्य रूप से हाड़ोती वासियो के लिए राव सूरजमल हाडा का स्मारक आस्था का प्रतीक था, स्मारक को ध्वस्त करने की बजाय किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाना उचित होता। इस कार्यवाही में लिप्त कर्मचारियों के खिलाफ उचित व ठोस कार्यवाही हो, एवं सरकार स्वयं राव सूरजमल हाडा की प्रतिमा की पुनर्स्थापना करे।
आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर ने कहा कि मेरा स्थानीय सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी आग्रह है की इस विषय को संज्ञान में लेकर दोषी अधिकारियो के खिलाफ उचित व ठोस कार्यवाही सुनिश्चित करावे। दोषी कर्मियों के निलंबन की कार्रवाई नाकाफी है। हालांकि सूरज मल हाडा की छतरी ध्वस्त करने के मामले में कोटा विकास प्राधिकरण के तहसीलदार कानून गो और पटवारी को किया निलंबित जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जिससे संतुष्टि नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण व हैरिटेज महत्व हेतु स्थापित संस्था "यूनेस्को" ने राव सूरजमल की छतरी को ध्वस्त करने की घटना को गंभीरता से लिया है।
आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर ने कहा कि छतरी स्थल पर यूनेस्को की टीम ने सर्वे कर इस छतरी के ऐतिहासिक महत्व को जानने का प्रयास किया । साथ ही छतरी के स्थापत्य कला के महत्व को भी जानने का प्रयास किया। साथ ही राव सूरजमल ज के इतिहास, छतरी के धार्मिक महत्व , स्थापत्य शैली और सामाजिक भावना से रूबरू करवाने का प्रयास किया व साक्ष्य उपलब्ध करवाए गए है।
आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर ने कहा कि कानून के मुताबिक 100 साल पुरानी किसी भी धरोहर को ध्वस्त करना अपराध की श्रेणी में है। इस बारे देश के सर्वोच्च न्यायलय के भी निर्देश है। हम उम्मीद करते है कि यूनेस्को की टीम तथ्यों को मजबूती से आगे पेश करेगी ।
प्रेस वार्ता में पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ सहित बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा, पूर्व चेयरमैन ईडब्ल्यूएस बोर्ड राजस्थान सरकार देवेंद्र सिंह बुटाटी, बूंदी प्रधान सत्यनारायण मीना, कांग्रेस सेवादल राजकुमार सैनी, करणी सेना संभाग अध्यक्ष बुंदेल सिंह राठौड़ व मंडल अध्यक्ष मनवीर सिंह आदि मौजूद रहे।
बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा के नाम से बने पैरोनमा
प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ व विधायक हरि मोहन शर्मा ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कई मांगे उठाई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बूंदी में बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा के नाम से एक पैरोनमा बनाए। राज्य सरकार हमारे समाज की इस मांग को प्रमुखता से ले और शीघ्र पैरोनमा का निर्माण कर एक अनुकरणीय पहल करे।