Sunday, 24 November 2024

सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग पर पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई आमरण अनशन पर बैठे


सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग पर पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई आमरण अनशन पर बैठे

राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 17 नए जिलों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सांचौर को लेकर ताजा विवाद ने जोर पकड़ लिया है, जहां नवगठित जिले को रद्द करने की अफवाहों के बीच पूर्व मंत्री और सांचौर के पूर्व विधायक सुखराम बिश्नोई ने आज से आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

अनशन की वजह: जिले के रद्द होने की अफवाह

सांचौर जिले को लेकर आईपीएस अधिकारियों के तबादलों की हालिया सूची जारी होने के बाद से ही क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। इस सूची में सांचौर के पुलिस अधीक्षक को हटाकर जालोर जिले के एसपी को सांचौर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था, जिससे जिले के रद्द होने की आशंका और तेज हो गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर सांचौर जिले को रद्द करने की अफवाहें भी तेजी से फैलने लगीं।

सुखराम बिश्नोई का अनशन: संघर्ष का संकल्प

पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सांचौर जिले को यथावत बनाए रखने की मांग को लेकर वह सांचौर जिला कलेक्ट्रेट के सामने अनशन पर बैठेंगे। बिश्नोई ने कहा, "सांचौर जिले को बरकरार रखने और जिलेवासियों के सम्मान के लिए मैं अंतिम सांस तक संघर्ष करूंगा।"

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया

इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने नए जिलों को लेकर एक बयान दिया था, जिससे विवाद और बढ़ गया था। उस समय भी सुखराम बिश्नोई ने राठौड़ के बयान की कड़ी निंदा की थी और कहा था कि सांचौर जिला रहेगा और किसी भी तरह की छेड़खानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिश्नोई ने कहा था कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिना किसी गहन अध्ययन के बेतुके बयान दे रहे हैं, जो जनता की भावनाओं के खिलाफ है।

सांचौर की जनता में चिंता

सांचौर के लोगों में इस बात को लेकर गहरी चिंता है कि उनके जिले का अस्तित्व खतरे में है। अफवाहों के बीच क्षेत्र में असमंजस का माहौल है, और लोग जिला रद्द किए जाने की संभावना को लेकर विरोध कर रहे हैं। सुखराम बिश्नोई के अनशन ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है, और अब सभी की नजरें राज्य सरकार के अगले कदम पर हैं।

इस पूरे प्रकरण से राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल बढ़ गई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और संबंधित अधिकारी इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।

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