Sunday, 22 June 2025

राजस्थान में 132 केवी सब स्टेशनों को ठेके पर देने की तैयारी, भाजपा सरकार पर कांग्रेस के रास्ते पर चलने का आरोप


राजस्थान में 132 केवी सब स्टेशनों को ठेके पर देने की तैयारी, भाजपा सरकार पर कांग्रेस के रास्ते पर चलने का आरोप

राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम एक बार फिर 132 केवी क्षमता वाले 150 ग्रिड सब स्टेशनों (जीएसएस) को ऑपरेशन और मेंटीनेंस के लिए ठेके पर देने की तैयारी कर रहा है, जिसमें करीब 95 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह कदम पहले से ही आलोचना का शिकार हो रहा है, क्योंकि इससे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान ठेके पर दिए गए जीएसएस को संभालने से एक निजी कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए थे।

जीएसएस पर संकट और सरकारी हस्तक्षेप

दो दिन पहले, एक अनुबंधित निजी कंपनी ने कांग्रेस सरकार के समय ठेके पर सौंपे गए जीएसएस को चलाने से इनकार कर दिया था। इससे घबराए विद्युत प्रसारण निगम के अधिकारियों को अपने कर्मचारियों को तत्काल उन सब स्टेशनों पर भेजना पड़ा। इसके बावजूद, कुछ बड़े अधिकारी अभी भी निजी ठेकों पर निर्भर होकर विद्युत प्रणाली को जोखिम में डालने का काम कर रहे हैं। अब तक कुल 255 ग्रिड सब स्टेशनों को ठेके पर दिया जा चुका है।

पिछली सरकार के फैसले और वर्तमान स्थिति

2023 में चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले, 6 अक्टूबर को 72 जीएसएस के ऑपरेशन और मेंटीनेंस का काम जीबीएस एंटरप्राइजेज को सौंपा गया था। हाल के दिनों में, कई जीएसएस पर कंपनी के कर्मचारियों ने आना बंद कर दिया, जिससे ट्रांसमिशन सिस्टम प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया। इसके चलते, 12 सितंबर को प्रसारण निगम को तत्काल सभी जीएसएस पर अपने कर्मचारियों को भेजने के आदेश जारी करने पड़े।

13 सितंबर को, कंपनी ने निगम अधिकारियों को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपनी खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों को वेतन देने और जीएसएस का संचालन जारी रखने में असमर्थता जताई। इसके बाद कंपनी ने स्पष्ट रूप से हाथ खड़े कर दिए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

सरकार की प्रतिक्रिया

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा, "कंपनी की ओर से जीएसएस पर कर्मचारी उपलब्ध न करा पाने का मामला संज्ञान में आया है। कंपनी पर कार्रवाई की जा रही है। हमने केवल टेंडर किए हैं, ऐसा नहीं है कि बिना जरूरत जीएसएस को ठेके पर दिया जाएगा। इसकी भी समीक्षा की जा रही है।" नागर ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रही है और भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

आलोचना और विवाद

इस फैसले की आलोचना विपक्ष और विद्युत कर्मचारियों के संघों द्वारा की जा रही है। उनका आरोप है कि भाजपा सरकार भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की राह पर चल रही है और यह कदम राज्य की विद्युत प्रणाली को और अधिक अस्थिर बना सकता है। ठेके पर दिए गए जीएसएस पर कंपनी के असफल होने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह प्रणाली भविष्य में विश्वसनीय रह पाएगी या नहीं। इसके अलावा, सरकार द्वारा किए गए इस फैसले पर विचार करने की मांग बढ़ रही है, क्योंकि यह जनता की बिजली आपूर्ति को सीधे प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

राजस्थान में विद्युत सब स्टेशनों को ठेके पर देने का निर्णय राज्य की विद्युत प्रणाली के लिए एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। ठेके पर दिए गए जीएसएस में बार-बार आ रही समस्याएं और ठेका कंपनियों की असफलताएं सरकार की इस नीति पर सवाल खड़े कर रही हैं। विपक्ष और विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति न केवल विद्युत प्रणाली को अस्थिर बना सकती है, बल्कि इससे राज्य की बिजली आपूर्ति भी खतरे में पड़ सकती है।


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