इस उपकरण में एक प्रकाश का स्त्रोत्र होता है जो बैटरी पर चलता है । ऑपरेशन से पहले बेहोश करने वाले डॉक्टर को एनेस्टोलॉजिस्ट कहते हैं । आम तौर पर एनेस्टोलॉजिस्ट को इंटुबेशन करने की जरूरत नहीं पड़ती है ।
इंटूबेशन की जरूरत तब पड़ती है जब वायु नली में किसी प्रकार की रुकावट आने की संभावना हो तब ( मुंह में थूक या रक्त जमकर वायु नली को बंद कर सकती है )। इसके अलावा अगर फेफड़े काम करना बंद कर दे तब बाहरी मदद से श्वास की व्यवस्था करनी पड़ती है। लार्यंगोस्कोप का उपयोग इंटुबेशन के दौरान होता है। इससे देख लिया जाता है की इंटुबेशन सही हो रहा है या नही।
अब इस काम में नकली दातों से क्या रिश्ता है ?
बात ऐसी है की यह laryngoscope काफी भारी और कठोर होता है । हाथ थोड़ा इधर उधर हो जाय तो दातों पर दबाव आ सकता है जिससे दांत टूट सकते हैं ।
यही कारण है की एनेस्टोलॉजिस्ट पहले से पूछ लेता है । अगर denture पहना हुआ है तो निकाल लिया जाता है । अगर इंप्लांट है या क्राउन है तो बता दिया जाता है की ऑपरेशन के वक्त हो सकता है की यह टूट जाए । इस के लिए खेद है पर उस तोड़ फोड़ का जुर्माना मत मांगिए ।
डॉ. पीयूष त्रिवेदी आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी प्रभारी राजस्थान विधान सभा जयपुर। M NO: 9828011871