



पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर देशभर में चल रहे विवादों पर चुनाव आयोग की मंशा और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर इंदिरा गांधी की जयंती पर श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि पूरे देश में SIR को लेकर जो हालात बने हैं, उसके लिए सीधे-सीधे चुनाव आयोग जिम्मेदार है। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यह स्थिति चुनाव आयोग की बेवकूफी की वजह से बनी है। इसमें कहने में संदेह नहीं होना चाहिए। उनकी नीयत शुरू से ही खराब है और उनकी भाजपा व सरकार से मिलीभगत साफ दिखने लगी है।”
गहलोत ने आरोप लगाया कि SIR को लेकर जानबूझकर विवाद खड़ा किया गया है। उनकी मान्यता है कि निर्वाचन आयोग ने ऐसा माहौल बना दिया है कि जनता के मन में संस्था को लेकर संदेह पनपने लगा है। उन्होंने कहा कि अगर आयोग सभी दलों को विश्वास में लेकर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाता तो आज यह विवाद पैदा ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव से ठीक पहले SIR शुरू करने से भी संदेह गहरा गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बिहार चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि धनबल के दम पर चुनाव जीता गया और बीच चुनाव महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये डाले गए, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे रोकने में कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अकेले क्या कर सकते हैं—वह तो नेता प्रतिपक्ष हैं, लेकिन जनता को खुद आगे आना पड़ेगा। “हम लोग अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं, जबकि ये लोग हिंसा में विश्वास रखते हैं। इसलिए जनता को सड़कों पर आकर आवाज उठानी पड़ेगी,” गहलोत ने कहा।
गहलोत ने आगे कहा कि यदि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर SIR के बारे में विस्तार से चर्चा करता और आश्वस्त करता कि मतदाता सूची निष्पक्ष व पारदर्शी होगी, तो विवाद की कोई स्थिति बनती ही नहीं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने मेहनत से गड़बड़ियों के सबूत दिए, लेकिन उनकी बात को मानने के बजाय उनसे ही एफिडेविट मांग लिया गया। गहलोत ने यह भी दावा किया कि SIR की वजह से कई राज्यों में गंभीर स्थितियां पैदा हो गई हैं—“अभी तीन आत्महत्याएं हो चुकी हैं, बंगाल में 20 लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का व्यवहार विपक्ष से पूर्व में कभी न देखे गए तरीके से पक्षपातपूर्ण हो गया है और सरकार के साथ मिलीभगत का संदेह और मजबूत हो रहा है।
गहलोत ने कहा कि शिकायत होने पर जांच होना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है, परंतु जिस तरह से आयोग प्रतिक्रिया दे रहा है, उससे जनता का भरोसा कमजोर हो रहा है।