



जयपुर: राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अभूतपूर्व पहल सामने आई है। राज्य सरकार ने प्रदेश के बड़े अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री की पहल पर 30 नए अग्नि सुरक्षा अधिकारी (Fire Safety Officer) के पद सृजित किए गए हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को वित्त विभाग की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इससे अब प्रदेश के प्रमुख अस्पतालों में स्थायी रूप से अग्नि सुरक्षा अधिकारी तैनात रहेंगे, जिससे किसी भी आकस्मिक आग की घटना में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई संभव हो सकेगी।
चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया कि राज्य सरकार निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बना रही है। हाल ही में सवाई मानसिंह अस्पताल में आग की घटना के बाद सरकार ने अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता पर लिया। इस दिशा में विशेषज्ञ पद सृजित कर राज्य के अस्पतालों को अधिक सुरक्षित बनाया जा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने कहा कि प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में प्रतिवर्ष लगभग 4 करोड़ मरीज ओपीडी सेवाएँ प्राप्त करते हैं, जबकि 42,000 से अधिक इनडोर बेड क्षमता उपलब्ध है। अस्पतालों में हर माह 50,000 से अधिक सर्जरी होती हैं और 12,500 मेडिकल गैस सिलेंडर प्रतिदिन उपयोग किए जाते हैं। ऐसी विशाल प्रणाली में आगजनी जैसी आकस्मिक घटनाओं के प्रभावी प्रबंधन हेतु विशेषज्ञ फायर अधिकारियों की नियुक्ति आवश्यक थी।
उन्होंने बताया कि इस निर्णय के तहत सभी चिकित्सा संस्थानों में राष्ट्रीय बिल्डिंग कोड (NBC) और राज्य अग्नि सुरक्षा अधिनियमों के अनुरूप सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित किया जाएगा।
नियमित फायर ऑडिट और मासिक मॉक ड्रिल (दिन व रात्रि शिफ्ट) का संचालन।
आईसीयू, ऑक्सीजन लाइन, हाइड्रेंट और फायर अलार्म सिस्टम की सतत निगरानी।
स्प्रिंकलर सिस्टम का रखरखाव और नई परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों का सत्यापन।
आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व।
निर्णय के तहत 6 पद पे-लेवल 11 तथा 24 पद पे-लेवल 8 पर स्वीकृत किए गए हैं। ये पद स्थानीय निकाय विभाग के कैडर के अनुसार रहेंगे और इनकी नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति या सीधी भर्ती के माध्यम से की जाएगी।
शासन सचिव ने बताया कि 15 दिसम्बर 2025 तक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। चयनित अधिकारियों को विशिष्ट तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसके लिए NIFSA (National Institute of Fire Safety & Allied Sciences) और ADRF (Advanced Disaster Response Force) जैसी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा।
साथ ही अस्पताल कार्मिकों एवं मेडिकल छात्रों के लिए अग्नि सुरक्षा जागरूकता मॉड्यूल भी तैयार किया जाएगा, जिससे अस्पतालों में सुरक्षा संस्कृति (Safety Culture) को बढ़ावा मिलेगा।
नोडल अधिकारी नरेश गोयल (अतिरिक्त निदेशक - रिसर्च एंड प्लानिंग) ने बताया कि इस निर्णय से अस्पतालों में एकीकृत और मानकीकृत फायर सेफ्टी मॉडल स्थापित होगा। यह प्रणाली न केवल वर्तमान सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत करेगी, बल्कि किसी भी आकस्मिक स्थिति में वैज्ञानिक, त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय मरीजों, परिजनों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद वातावरण तैयार करेगा और राजस्थान को अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल स्टेट बनाएगा।
यह निर्णय राजस्थान सरकार की “सुरक्षित अस्पताल – सुरक्षित जीवन” की नीति को नई मजबूती देता है। यह कदम न केवल तकनीकी दक्षता का प्रतीक है, बल्कि आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय पहल भी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की यह पहल प्रदेश में अस्पताल सुरक्षा के नए मानक स्थापित करेगी और आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगी।