



नई दिल्ली। देश में मतदाता सूची की पारदर्शिता और प्रामाणिकता बढ़ाने की दिशा में चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का दूसरा चरण अब 12 राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की और बताया कि आज रात से अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा,गुजरात, केरल,लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश,पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल इन राज्यों में वोटर लिस्ट फ्रीज कर दी जाएगी।
2026: पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी
2027: गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश
2028: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान। अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप में विधानसभा नहीं।
उन्होंने कहा कि SIR के तहत मतदाता सूची का अपडेशन, त्रुटि सुधार और नए योग्य मतदाताओं के नाम शामिल किए जाएंगे। यह काम राज्यों के चुनाव आयोगों और जिला निर्वाचन अधिकारियों की निगरानी में किया जाएगा।
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि SIR की शुरुआत बिहार से की गई थी और वहां यह पूरी तरह सफल रही। उन्होंने कहा कि बिहार में इस प्रोसेस पर जीरो शिकायतें मिलीं। मैं छठ पर्व के अवसर पर बिहार के 7.5 करोड़ मतदाताओं को नमन करता हूँ।
SIR को लेकर हुई अहम बैठकें
आयोग ने सभी 36 राज्य चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ दो दौर की बैठकें कीं।
कई राज्यों ने अपनी पिछली SIR के बाद की वोटर लिस्ट वेबसाइटों पर उपलब्ध करा दी है।
दिल्ली — अंतिम SIR: 2008 → वही सूची वेबसाइट पर
उत्तराखंड — अंतिम SIR: 2006 → उसी सूची का उपयोग
बिहार — वोटर वैरिफिकेशन पूर्ण, 1 अक्टूबर को फाइनल डेटा जारी पिछले SIR की लिस्ट बनेगी कट-ऑफ डेट
मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार राज्य में जिस वर्ष अंतिम बार SIR हुआ।
वही कट-ऑफ डेट मानी जाएगी इसी आधार पर मौजूदा मतदाता सूचियों की तुलना और सत्यापन होगा। 2002 से 2008 के बीच ज्यादातर राज्यों में SIR आयोजित हुआ था।
चुनाव आयोग का कहना है कि SIR का एक प्रमुख उद्देश्य —अवैध विदेशी प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर करना,जन्म स्थान की सख्त जांच, दोहरी/फर्जी पहचान की समाप्तियह निर्णय विशेषकर बांग्लादेशऔर म्यांमार की ओर से अवैध प्रवास के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।