Monday, 27 October 2025

ऑपरेशन शटरडाउन: सरकारी सिस्टम में सेंध लगाने वाला अंतर्राज्यीय साइबर गिरोह ध्वस्त, नोडल ऑपरेटर समेत 6 गिरफ्तार, ₹ 1 करोड़ फ्रीज


ऑपरेशन शटरडाउन: सरकारी सिस्टम में सेंध लगाने वाला अंतर्राज्यीय साइबर गिरोह ध्वस्त, नोडल ऑपरेटर समेत 6 गिरफ्तार, ₹ 1 करोड़ फ्रीज

जयपुर। राजस्थान में संचालित जलदाय एवं कृषि योजनाओं सहित विभिन्न सरकारी पोर्टलों में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये की राजकोषीय धोखाधड़ी करने वाले एक अंतर्राज्यीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। झालावाड़ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन शटरडाउन’ के तहत इस बड़े साइबर रैकेट को उजागर किया गया है, जिसका नेटवर्क देश के कई राज्यों तक फैला पाया गया।

गिरोह द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan), जनआधार पोर्टल, सामाजिक सुरक्षा पेंशन (RajSSP) और आपदा प्रबंधन विभाग के पोर्टल (DMIS) में तकनीकी खामियों का फायदा उठाकर अपात्र लाभार्थियों को योजनाओं का पैसा हस्तांतरित किया जा रहा था। इस रैकेट पर कार्रवाई की शुरुआत 22 अक्टूबर को 30 आरोपियों की गिरफ्तारी से हुई थी। ऑपरेशन को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने 11,000 संदिग्ध बैंक अकाउंट्स को डेबिट-फ्रीज करवाया है, जिनमें अब तक करीब ₹1 करोड़ की राशि होने की पुष्टि हुई है। जयपुर, भरतपुर, दौसा, जोधपुर, दिल्ली और पंजाब से 6 आरोपी गिरफ्तार और 2 डिटेन किए गए हैं, जिनमें सरकारी सिस्टम में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हैं।

गिरफ्तार आरोपियों की भूमिका उजागर: इस साइबर नेटवर्क का संचालन मुख्य रूप से जयपुर का मोहम्मद लईक कर रहा था, जो PM-Kisan के स्टेट नोडल ऑफिस का ऑपरेटर है।अपनी ऑफिसियल ID का दुरुपयोग कर अवैध जिला नोडल IDs बनाना,OTP बायपास कर रात में लैंड सीडिंग एवं फर्जी अकाउंट एक्टिवेशन और सुबह IDs डीएक्टिवेट कर सबूत मिटाना।

दिल्ली निवासी सुभाष UP-उत्तराखंड के अपात्र लाभार्थियों का डेटा उपलब्ध कराता था, जबकि भरतपुर का मोहम्मद शाहीद इस फर्जी एक्टिवेशन गिरोह से जुड़ा हुआ था।पंजाब के जालंधर से रोहित कुमार और संदीप शर्मा क्लोन वेबसाइटों के साइबर डेवलपर पाए गए। वहीं सुनन्त शर्मा इस नेटवर्क का मुख्य हैंडलर है। डिटेन आरोपियों में फलौदी कलेक्ट्रेट कर्मचारी रमेशचंद और दौसा निवासी भागचंद जो झालावाड़ में सबसे ज्यादा फर्जी लाभार्थी जोड़ने वाला एजेंट शामिल हैं।

भारी जब्ती — डिजिटल डिवाइसेस से मिली गहरी सेंधमारी के सबूत: कार्रवाई के दौरान बरामद —₹ 53 लाख नकद,नोट गिनने की मशीन,हजारों ATM / पासबुक / चेकबुक,35+ लैपटॉप, 70 मोबाइल,11,000 बैंक अकाउंट डिटेल्स,लाभार्थियों का संवेदनशील डेटा,सरकारी अधिकारियों के लॉगिन-पासवर्ड व HTML कोड्स,लग्जरी कारें, बाइक व ट्रैक्टर,इन डिवाइसेस से 17,000 से अधिक लाभार्थी रिकॉर्ड संदिग्ध पाए गए।

DMIS और जनआधार में सेंध — SSO IDs का दुरुपयोग: गिरोह के पास बाड़मेर जिले से लेकर पटवारी स्तर तक की 1500+ SSO IDs और ईमेल IDs मिलीं। इनके माध्यम से किसानों की मुआवजा राशि सिस्टम बायपास कर अपने साथियों एवं अपात्र खातों में ट्रांसफर की गई। जनआधार पोर्टल में आईडी वेरिफिकेशन को बायपास करने वाले टूल्स भी मिले, जिनका उपयोग कर अवैध वित्तीय लेनदेन किए जाते रहे।

अंतरराज्यीय अभियान — कई पुलिस इकाइयों का संयुक्त ऑपरेशन: इस जटिल साइबर अपराध की जांच के लिए झालावाड़ पुलिस ने 6 सदस्यीय SIT बनाई।सहयोग SOG जयपुर,SOG दिल्ली,पंजाब पुलिस,भरतपुर, दौसा और Jodhpur East टीमें इसी समन्वय से छिपे तकनीकी अपराधियों की गिरफ्तारी संभव हो पाई।

फरार अपराधियों पर इनाम: ₹ 25,000 के इनाम के साथ घोषित 5 फरार आरोपियों में से 1 गिरफ्तार हो चुका है। बाकी 4 आरोपी अब भी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

जल्द ही SIT: अवैध संपत्तियों की पहचान और योजनाओं के सिस्टम में खामियों की गहन जांच पर कार्य करेगी, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।


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