Saturday, 25 October 2025

थार में गूंजेगा ‘त्रिशूल’: राजस्थान-पाकिस्तान बॉर्डर पर अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास, तीनों सेनाएं होंगी शामिल


थार में गूंजेगा ‘त्रिशूल’: राजस्थान-पाकिस्तान बॉर्डर पर अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास, तीनों सेनाएं होंगी शामिल

जयपुर। राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास देश का अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ (Exercise Trishul) होने जा रहा है। इस हाई-इंटेंसिटी युद्धाभ्यास में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के करीब 30 हजार जवान एक साथ भाग लेंगे।
अभ्यास 30 अक्टूबर से शुरू होकर 10 नवंबर 2025 तक यानी 13 दिनों तक चलेगा। यह युद्धाभ्यास जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों से लेकर गुजरात के सर क्रीक क्षेत्र तक फैला होगा।

NOTAM जारी — फ्लाइट रूट में होगा बदलाव

भारत सरकार ने 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक के लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया है। इस दौरान पश्चिमी एयर कॉरिडोर के ऊपर 28,000 फीट तक के हवाई क्षेत्र को अभ्यास के लिए आरक्षित किया गया है। इस वजह से राजस्थान और गुजरात क्षेत्र में कुछ कॉमर्शियल फ्लाइट्स के रूट में बदलाव किया जा सकता है। एयरलाइंस को पहले ही वैकल्पिक रूट्स की तैयारी के निर्देश दिए गए हैं।

तीनों सेनाओं का सबसे बड़ा संयुक्त अभ्यास: त्रिशूल’ युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच रीयल-टाइम कोऑर्डिनेशन, मल्टी-डोमेन वारफेयर (Multi-domain Warfare) और यूनिफाइड ऑपरेशन क्षमता का परीक्षण करना है।अभ्यास के दौरान तीनों सेनाएं एक साथ जमीन, हवा और समुद्र से समन्वित हमले (Unified Offensive Operations) का अभ्यास करेंगी।

स्वदेशी हथियारों और हाईटेक सिस्टम की टेस्टिंग: इस मेगा एक्सरसाइज में भारतीय सेना अपने कई नई पीढ़ी के स्वदेशी हथियारों और सिस्टम का प्रदर्शन करेगी। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं—

  • टी-90 एस और अर्जुन टैंक

  • हॉवित्जर तोपें

  • अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर

  • सीएच-47 चिनूक और एमआई-17 हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर

  • ड्रोन सर्विलांस और सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम

इस दौरान थल सेना, वायुसेना और नौसेना की यूनिट्स एक साथ ग्राउंड-एयर-सी लिंक ऑपरेशन करेंगी।

सर क्रीक और जैसलमेर—रणनीतिक रूप से अहम इलाके:अभ्यास का दायरा जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों से लेकर गुजरात के सर क्रीक तक फैला होगा। सर क्रीक क्षेत्र समुद्र के नजदीक है, जहां नौसेना और वायुसेना के विशेष विमान और ड्रोन प्लेटफॉर्म संयुक्त रूप से संचालन करेंगे।
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात दौरे के दौरान सर क्रीक सीमा विवाद और क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत पर चर्चा की थी। अब उसी क्षेत्र में यह संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ आयोजित किया जा रहा है, जो पश्चिमी सीमांत सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण सैन्य कदम माना जा रहा है।

मल्टी-डोमेन वॉरफेयर पर होगा फोकस:त्रिशूल’ एक्सरसाइज के दौरान सेनाएं रियल-टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, ड्रोन-काउंटरड्रोन टेक्नोलॉजी, और नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन की क्षमता को परखेंगी।यह अभ्यास भारतीय सेनाओं की जॉइंटनेस (Jointness) और आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Defence Capabilities) की दिशा में एक बड़ा प्रयोग माना जा रहा है।


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