जयपुर। हरियाणा के प्रभारी और पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया की पुस्तक विमोचन के अवसर पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम में राजस्थान की राजनीति के दिग्गज नेता एक मंच पर नजर आए। मंच पर भले ही माहौल हास्य और आत्मीयता से भरा था, लेकिन नेताओं के तंज और संकेतों में सियासी संदेश भी छिपे हुए दिखे।
कार्यक्रम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़, और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इन सभी ने ‘सांप-सीढ़ी’ के खेल के उदाहरण के जरिए राजनीति के उतार-चढ़ाव और आपसी समीकरणों पर चुटकी ली।
कार्यक्रम की शुरुआत में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सतीश पूनिया और मेरे बीच बहुत समानता है। हम दोनों को सांप-सीढ़ी के सांप ने तब डसा जब हम सतासी पर थे। इस बयान पर हॉल में मौजूद श्रोताओं की हंसी छूट गई, लेकिन यह टिप्पणी 2023 विधानसभा चुनाव में दोनों की हार की ओर संकेत करती दिखी।
राठौड़ ने कहा कि राजनीति में उतार-चढ़ाव का दौर हमेशा आता है, लेकिन “कर्म और जनता का विश्वास” ही नेता का असली सहारा होता है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मदन राठौड़ ने मंच संभालते हुए उसी लहजे में जवाब दिया —“आप (राजेंद्र राठौड़) मुझे कैसे भूल गए। 2003 में मैं विधायक बना, लेकिन 2008 में शायद आपने ही मुझे डस दिया होगा। फिर 2013 में जीतकर आया, पर 2018 में पूनिया जी ने डसा होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि “सांप-सीढ़ी का यह खेल राजनीति का हिस्सा है, चलता रहेगा और चलता रहना भी चाहिए।”
मदन राठौड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में जोड़ा —“जब सतीश पूनिया आते थे, मैं आगे-आगे रास्ता साफ करता था। आगे भी रास्ता क्लियर करूंगा, आप चिंता मत करो।”
उन्होंने राजेंद्र राठौड़ और घनश्याम तिवाड़ी पर तंज कसते हुए कहा कि आप तिवाड़ी जी की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे, अब उन्हें पिंजरे से निकालकर यह अंदर घुसने वाले हैं।”
इस बयान से मंच पर ठहाके गूंज उठे।
प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी माहौल में व्यंग्य की धार जोड़ते हुए कहा कि यहां बताया गया कि मैं विपक्ष की भूमिका में हूं, लेकिन अब तो लगता है कि सतीश पूनिया भी निष्पक्ष हैं, बाकी सब मेरे साथ हैं।”
जूली ने कहा कि सांप-सीढ़ी का खेल राजनीतिक रिश्तों और समीकरणों की झलक देता है। अगर विधानसभा में होता, तो मैं यह जरूर पूछता कि सांप-सीढ़ी में कौन-कौन डस रहा है। लेकिन यहां मैं वो बात नहीं पूछूंगा, कुछ राज हैं, उन्हें राज ही रहने दो।
कार्यक्रम के अंत में राजेंद्र राठौड़ ने आज की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल तो नेता होर्डिंग्स और महंगी गाड़ियों के साथ पैदा होते हैं। जयपुर शहर युवा नेताओं के बधाई पोस्टरों से अटा पड़ा है।”
उन्होंने पूनिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैंने आपको पैदल चलते और आपके पैरों में छाले पड़ते देखे हैं। आपके जैसे कर्मयोगी द्वारा लिखी गई पुस्तक युवा नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया की किताब के विमोचन कार्यक्रम ने राजस्थान की राजनीति में एक दुर्लभ एकता और आत्मीयता का उदाहरण पेश किया। जहां एक ओर नेताओं ने एक-दूसरे पर व्यंग्य किया, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक जीवन की सच्चाइयों और संघर्षों को भी स्वीकार किया।