जयपुर। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के फैसलों की समीक्षा और पुनर्गठन की कड़ी में एक और बड़ा निर्णय सामने आया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (RIC) के मैनेजमेंट से अशोक गहलोत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए आजीवन ट्रस्टियों के अधिकार समाप्त कर दिए हैं। अब इस संस्था को स्वायत्तशासी निकाय (Autonomous Body) का दर्जा देकर नई गवर्निंग बॉडी का गठन किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में RIC के प्रबंधन के लिए एक सोसायटी बनाई गई थी, जिसमें उनके पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद मायाराम को अध्यक्ष एवं आजीवन ट्रस्टी बनाया गया था। उनके साथ-साथ जाने-माने शिक्षाविद प्रो. प्रभात भानु मेहता, के.सी. मालू, वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद यासिन को भी बोर्ड में अवैतनिक आजीवन ट्रस्टी के रूप में शामिल किया गया था।
अब भाजपा सरकार ने इस मैनेजमेंट बोर्ड को पूरी तरह भंग करते हुए RIC को ऑटोनोमस बॉडी के रूप में फिर से स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत नई गवर्निंग बॉडी गठित की जाएगी और एक 5-सदस्यीय कार्यकारी समिति (Executive Committee) भी बनाई जाएगी, जो दिन-प्रतिदिन के संचालन का कार्यभार संभालेगी।इस सोसायटी की 15 सदस्यों की गर्वनिंग बॉडी बनाई है, जिसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा 4 अन्य सदस्य सरकारी हैं। इस बॉडी का अध्यक्ष मुख्य सचिव को बनाया है, जबकि उपाध्यक्ष यूडीएच डिपार्टमेंट का अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रमुख शासन सचिव को बनाया। इनके अलावा कला संस्कृति विभाग के शासन सचिव, जयपुर जेडीए के कमिश्नर, नगर निगम ग्रेटर के कमिश्नर और जयपुर कलेक्टर को सदस्य बनाया है।
अन्य 6 सदस्य राज्य सरकार के जरिए नामित किए जाएंगे, जो प्रशासनिक, उद्योग क्षेत्र के अलावा चार्टेड अकाउंटेंट, विधि क्षेत्र, पर्यटन क्षेत्र और कला एवं संस्कृति क्षेत्र से होंगे। इन नामित 6 सदस्यों का कार्यकाल 2 साल का होगा।
गवर्निंग बॉडी में ही 2 अन्य सदस्य आरआईसी के सदस्यों में से ही निर्वाचित किए जाएंगे। एक अन्य सदस्य आरआईसी का निदेशक होगा। आरआईसी का निदेशक राज्य सरकार नियुक्त करेगी और ये गवर्निंग बॉडी का संयोजक भी होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम गहलोत युग की संस्थागत संरचनाओं को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है। चूंकि RIC को पूर्व सरकार ने नीति, विचार और संवाद के एक थिंक टैंक के रूप में विकसित किया था, उसमें सत्ता के हस्तक्षेप से मुक्त रहने की कोशिश की गई थी। अब नई सरकार के फैसले को “प्रशासनिक केंद्रीकरण” और पूर्ववर्ती विचारधारा से अलगाव की दृष्टि से देखा जा रहा है।
RIC की नई कार्यकारी संरचना कैसी होगी, इसके नियम, सदस्य और कार्यशैली कैसी होगी — इस पर सरकार जल्द विस्तृत आदेश जारी करने वाली है।
इस निर्णय से यह साफ है कि भजनलाल शर्मा सरकार अब राज्य की प्रशासनिक और बौद्धिक संस्थाओं पर सीधा नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में बढ़ रही है।