देश में जनगणना-2027 के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन की तैयारी शुरू हो गई है। इस परिसीमन के तहत न केवल संसदीय और विधानसभा सीटों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, बल्कि एक-तिहाई सीटों पर महिला आरक्षण भी लागू किया जाएगा। इससे देशभर की राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आने की संभावना है।
राजस्थान सहित सभी राज्यों में सांसदों और विधायकों में हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, कई विधायक अब से ही इस ऊहापोह में हैं कि यदि उनकी वर्तमान सीट आरक्षित हो गई, तो अगला चुनाव किस क्षेत्र से लड़ेंगे। ऐसे में कई नेता अपने जिले के साथ-साथ आस-पास की जातिगत संतुलन वाली सीटों पर भी नजरें गड़ाए हुए हैं ताकि भविष्य में उन्हें सुरक्षित विकल्प मिल सके।
भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने बताया कि परिसीमन आयोग का गठन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में होता है और राज्यवार एक विधायक को भी आयोग में सदस्य के रूप में शामिल किया जाता है। राजस्थान से कौन विधायक आयोग में जाएगा, इसका निर्णय विधानसभा अध्यक्ष करेंगे।
महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33% आरक्षण आगामी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। चर्चा है कि यदि यह आरक्षण लागू होता है, तो सीटों की संख्या में भी उसी अनुपात में वृद्धि की जाएगी। यदि 33% सीटें बढ़ाई जाती हैं, तो राजस्थान की वर्तमान 200 विधानसभा सीटें बढ़कर 266 हो सकती हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान विधानसभा भवन में 246 विधायकों के बैठने की सुविधा है, जिसे और 50 सीटों तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में सीटें बढ़ने पर विधानसभा भवन में स्थान की कोई समस्या नहीं आएगी।
इतिहास की बात करें तो राजस्थान विधानसभा की शुरुआत 1952 में 160 सीटों से हुई थी। 1957 में इन्हें 176 किया गया, जब अजमेर रियासत का विलय हुआ। 1967 में सीटें 184 हुईं और 1977 में इन्हें 200 कर दिया गया। 2008 के चुनाव जरूर परिसीमन के बाद हुए, लेकिन सीटों की संख्या में बदलाव नहीं हुआ था, केवल सीटों की सीमाएं और नाम बदले थे।