जोधपुर–राजस्थान हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) जोधपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए राजस्थान मूल के छात्रों को 25 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को वैध ठहराया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और इसमें कोई संवैधानिक असंगतता नहीं है।
न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और चन्द्रप्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने इस फैसले में 2024 की एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिका में एनएलयू की कार्यकारी परिषद द्वारा 22 जनवरी 2022 को पारित प्रस्ताव और राज्य सरकार की 26 दिसंबर 2022 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने यह भी बताया कि एनएलयू जैसी संस्थाएं अन्य राज्यों में भी स्थानीय छात्रों को आरक्षण देती रही हैं, ताकि स्थानीय निवासियों को उच्च शिक्षा की बेहतर सुविधा मिल सके।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि एनएलयू अधिनियम 1999 के तहत इस तरह का आरक्षण प्रावधान नहीं है और यह निर्णय विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित करता है। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह नीति उचित प्रक्रिया के तहत लागू की गई है और यह स्थानीय छात्रों को लाभ देने के उद्देश्य से है।