पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) भर्ती परीक्षा की तारीख आगे नहीं बढ़ाने के निर्णय पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा न तो अपने उपमुख्यमंत्रियों की सुन रहे हैं, न ही विधायकों और न ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की। इससे साफ है कि सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है।
गहलोत ने कहा कि भाजपा के दोनों उपमुख्यमंत्रियों, विधायकों और प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरएएस परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने तो खुद आंदोलन कर रहे छात्रों को आश्वासन दिया था कि "आपका काम हो जाएगा"। इस भरोसे पर छात्रों ने भूख हड़ताल तक खत्म कर दी। लेकिन राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने परीक्षा की तारीख में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे छात्रों में भ्रम और नाराजगी का माहौल है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से बिना बात किए ही छात्रों से यह वादा किया था? अगर नहीं, तो क्या इतनी बड़ी संवेदनशील बात पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में संवादहीनता है? उन्होंने यह भी कहा कि इतने गंभीर मसले पर उपमुख्यमंत्री सिर्फ पत्र क्यों लिख रहे हैं — उन्हें तो सीधे मिलकर समाधान निकालना चाहिए।
गहलोत ने चेताया कि भले ही सरकार भीतरी राजनीति में उलझी हो, लेकिन इससे युवाओं का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री को शहीद स्मारक पर धरना दे रहे छात्रों से मिलकर जल्द फैसला करना चाहिए।
गौरतलब है कि आरएएस भर्ती परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की मांग को लेकर सैकड़ों अभ्यर्थी जयपुर के शहीद स्मारक पर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। तेज गर्मी में प्रदर्शन के चलते लगभग एक दर्जन छात्रों की तबीयत बिगड़ चुकी है, लेकिन सरकार और आयोग की ओर से अब तक कोई राहत नहीं दी गई है।