जयपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गुरुवार को जयपुर स्थित स्वामी केशवानंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसकेआईटी) में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या मानवजनित है, इसलिए इसका समाधान भी हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने भर से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती, बल्कि उनकी निरंतर देखभाल और संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है।
राज्यपाल ने जलवायु परिवर्तन, तापमान वृद्धि और घटते जलस्तरों को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि घटते पेड़-पौधों की संख्या इसका प्रमुख कारण है। उन्होंने अपील की कि वृक्षारोपण केवल आंकड़ों तक सीमित न रह जाए, बल्कि व्यवहार में लाया जाए। जो पौधे लगाए जाएं, उनका वृक्ष बनने तक पालन-पोषण किया जाए और उनकी संख्या तभी दर्ज हो जब वे वयस्क वृक्ष बन जाएं।
राज्यपाल ने तमिलनाडु के शोधार्थियों द्वारा अमलतास वृक्ष पर किए गए शोध का उल्लेख करते हुए बताया कि यह वृक्ष सर्वाधिक ऑक्सीजन देने और जलाने पर सबसे कम कार्बन उत्सर्जन करने वाला वृक्ष है। ऐसे वृक्षों का अधिकाधिक रोपण करके पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।
उन्होंने जल संरक्षण पर भी बल दिया और कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध पानी में से केवल 2.5% पीने योग्य जल है, और उसमें भी अधिकांश ग्लेशियरों में जमा है। इसलिए जल बचाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है।
इस अवसर पर विज्ञान भारती की ओर से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को "वृक्ष मित्र" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विज्ञान भारती के डॉ. मेंघेद्र शर्मा ने संस्था के कार्यों की जानकारी दी और कहा कि संगठन भारतीय वैज्ञानिक परंपराओं के साथ पर्यावरण संरक्षण की चेतना भी जाग्रत कर रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में सुरजाराम मिल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।