जयपुर: कृषि विभाग में कार्यरत दो वरिष्ठ अधिकारियों पर महिला कर्मचारियों के साथ लैंगिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप सत्य पाए गए हैं। इन आरोपों की पुष्टि आंतरिक परिवाद समिति की जांच में हुई है, और अब विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
यह मामला नवंबर 2024 में सामने आया, जब कृषि आयुक्तालय को एक गुमनाम चिट्ठी प्राप्त हुई थी। इसमें जिले में तैनात महिला सुपरवाइजरों की ओर से दो कृषि अधिकारियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। हालांकि चिट्ठी पर किसी का नाम या हस्ताक्षर नहीं था, लेकिन अधिकारियों के नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित थे।
शिकायत मिलने के बाद भी विभाग ने जांच में 6 महीने से अधिक का समय लगा दिया। 29 नवंबर 2024 को यह मामला आंतरिक परिवाद समिति को सौंपा गया। लेकिन समिति को महिला कर्मचारियों की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं करवाई गई। बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद 21 मार्च 2025 तक केवल अधूरा ब्योरा दिया गया। अंततः 5 मई 2025 को समिति को पूरा विवरण मिला, जिसके बाद महिला कर्मचारियों को बयान देने के लिए बुलाया गया।
जांच में महिला कर्मचारियों ने अधिकारियों पर लगाए गए लैंगिक उत्पीड़न के आरोपों को दोहराया। समिति ने इन बयानों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपों को सत्य पाया। इसके बाद मामला मुख्य सचिव सुधांश पंत के संज्ञान में लाया गया, जिन्होंने न केवल इस देरी पर नाराजगी जताई, बल्कि कृषि विभाग से Action Taken Report (ATR) भी तलब की।
सूत्रों की मानें तो मुख्य सचिव ने पहले ही विभाग से इस मामले में फैक्चुअल रिपोर्ट मंगवाई थी। अब पूरे प्रकरण के दस्तावेजी प्रमाण सामने आने के बाद कृषि विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। यह घटना कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।