राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद का अतिरिक्त कार्यभार आईएएस अधिकारी कुलदीप रांका को सौंपे जाने को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने इस पर राज्य के मुख्य सचिव (CS), संयुक्त बाल अधिकारिता सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव, और स्वयं आईएएस कुलदीप रांका से जवाब तलब किया है।
यह निर्देश जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने आयोग की वरिष्ठतम सदस्य संगीता गर्ग की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सत्यपाल चांदोलिया ने दलील दी कि पूर्व अध्यक्ष संगीता बेनीवाल के इस्तीफे के बाद आयोग का अध्यक्ष पद रिक्त हो गया था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने 5 फरवरी 2025 को आदेश जारी कर उक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार आईएएस अधिकारी को सौंप दिया, जो कि कानूनन वैध नहीं है।
याचिका में यह भी बताया गया कि वर्ष 2010 की अधिसूचना के अनुसार, यदि अध्यक्ष का पद रिक्त होता है, तो कार्यभार आयोग के वरिष्ठतम सदस्य को दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद सरकार ने बिना किसी वैधानिक प्रावधान के एक प्रशासनिक अधिकारी को यह जिम्मेदारी दे दी, जो न केवल आयोग की स्वायत्तता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि बाल अधिकार जैसे संवेदनशील विषयों पर अनुभवहीन प्रशासनिक निर्णय का संकेत भी देता है।
हाईकोर्ट ने उक्त अधिकारियों से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं, जिससे यह तय हो सके कि यह नियुक्ति वैधानिक ढांचे के अनुरूप है या नहीं।