Friday, 28 March 2025

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में कुलपति डॉ. अरुण कुमार पर गंभीर आरोप: फर्जी भर्तियाँ, वित्तीय अनियमितताएँ और प्रशासनिक भ्रष्टाचार, जांच की मांग


स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में कुलपति डॉ. अरुण कुमार पर गंभीर आरोप: फर्जी भर्तियाँ, वित्तीय अनियमितताएँ और प्रशासनिक भ्रष्टाचार, जांच की मांग

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर  एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, जहां कुलपति डॉ. अरुण कुमार पर बीते सवा दो वर्षों से नियमों की खुलेआम अवहेलना कर फर्जी भर्तियों, वित्तीय अनियमितताओं और विश्वविद्यालय संसाधनों के दुरुपयोग जैसे अनेक गंभीर आरोप लगे हैं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में बिना वरिष्ठता सूची और रोस्टर अनुमोदन के 23 दिसंबर 2023 को की गई समस्त भर्तियाँ नियमों के विरुद्ध थीं। आरोप है कि नियुक्त अभ्यर्थियों में ऐसे नाम शामिल हैं जिन पर पूर्व में भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं, जबकि कई योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर कम योग्यता वाले अभ्यर्थियों को चयनित किया गया। नियुक्ति प्रक्रिया में आवश्यक एनओसी और विजिलेंस रिपोर्ट की भी अनदेखी की गई।

सिर्फ यही नहीं स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर प्रशासन ने सेवा-निवृत्त कर्मचारियों को पुनः नियुक्त कर उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया में हस्तक्षेप का जिम्मा सौंप दिया, जबकि यह अधिकार केवल कुलसचिव के पास होना चाहिए था। कई अपात्र कर्मचारियों को लाइजन ऑफिसर, सिक्योरिटी ऑफिसर, CIMCA इंचार्ज जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर बैठा दिया गया, जिससे सत्ता का केंद्रीकरण कर संस्थान के निर्णयों को प्रभावित किया गया। इतना ही नहीं, इनके जैसे नए और कनिष्ठ कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी निर्णयात्मक संस्था—बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट—में शामिल किया गया।

वित्तीय अनियमितताओं की बात करें तो डॉ. अरुण कुमार पर पहले से बने संविधान पार्क को तुड़वाकर उसी पर ₹1 करोड़ से दोबारा निर्माण कराने का आरोप है। इसके अलावा, छात्रहित और अकादमिक गतिविधियों के नाम पर लाखों रुपए की बर्बादी की गई। फरवरी में मधुबनी (बिहार) में लगाई गई जबरन प्रदर्शनी भी इसी तरह का एक उदाहरण है, जिससे विश्वविद्यालय को लाखों का नुकसान हुआ। आरोप है कि डॉ. अरुण कुमार अपने पारिवारिक यात्राओं का खर्च भी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों के बजट से उठवा रहे हैं।

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में जो भी कर्मचारी भ्रष्टाचार का विरोध करता है, उसे अनियमित तरीके से ट्रांसफर कर दिया जाता है। यदि वह अदालत की शरण लेता है तो उस पर दबाव बनाने हेतु मुकदमे में लाखों रुपये की वकील फीस दी जाती है, जबकि सामान्यतः यह राशि बहुत कम होती है। शैक्षणिक अनियमितताओं में भी डॉ. अरुण कुमार की भूमिका पर सवाल उठे हैं। आरोप है कि वे न तो विश्वविद्यालय के स्थायी प्रोफेसर हैं और न ही UGC की गाइडलाइंस के अनुसार PhD गाइड बन सकते हैं, बावजूद इसके वे छात्रों से दो साल में ही PhD पूरी करवाकर डिग्रियाँ दिलवा रहे हैं, जो गंभीर शैक्षणिक घोटाला है।

इस पूरे प्रकरण को देखते हुए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच समिति गठित कर तत्काल निष्पक्ष जांच की मांग उठाई जा रही है, ताकि राजस्थान की उच्च शिक्षा व्यवस्था की गरिमा बनी रह सके और विश्वविद्यालय को इस भारी संकट से उबारा जा सके।

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