जयपुर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उनके संदर्भ में दिए गए बयान को निरर्थक और संवैधानिक परंपराओं के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा कि गहलोत को अपने दल के विधायकों को सदन की मर्यादा बनाए रखने और विधानसभा अध्यक्ष के प्रति सम्मान रखने की सलाह देनी चाहिए थी। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने स्पष्ट किया कि सदन में प्रतिपक्ष के धरने के दौरान उन्होंने कई बार संवाद स्थापित करने की कोशिश की और यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष को अपने कक्ष में बुलाकर बातचीत भी की, लेकिन प्रतिपक्ष की हठधर्मिता और अमर्यादित व्यवहार के कारण उन्हें उनके सदस्यों का निलंबन करना पड़ा।
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद की कार्यशैली पर प्रश्न उठाना स्वयं संविधान की मर्यादा के विपरीत है। उन्होंने यह भी बताया कि सोलहवीं विधान सभा के तृतीय सत्र में 8 दिनों के दौरान अनुदान मांगों पर चर्चा में भाजपा विधायकों को 161 बार और कांग्रेस विधायकों को 162 बार बोलने का अवसर दिया गया, जो अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी में से एक है। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष को पर्याप्त अवसर देना और उनकी बात सुनना सदन की परंपरा का हिस्सा है, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया।
कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान की सुविधाओं के उद्घाटन के अवसर पर उठाए गए विपक्षी सवालों को भी विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने निरर्थक बताया और कहा कि उन्होंने विपक्ष के नेताओं को हमेशा विश्वास में लेकर कार्य किया। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद दलगत राजनीति से ऊपर होता है और इस पद की गरिमा बनाए रखना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह दोहराया कि विधानसभा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है, जिसकी गरिमा बनाए रखना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का कर्तव्य है। अपने कार्यकाल में सर्वदलीय बैठकों की शुरुआत कर उन्होंने सदन की मर्यादा और उच्च परंपराओं को मजबूती देने का प्रयास किया है।