Wednesday, 19 March 2025

भूजल प्रबंध प्राधिकरण बिल पर सरकार का यू-टर्न, फिर भेजा गया सिलेक्ट कमेटी के पास


भूजल प्रबंध प्राधिकरण बिल पर सरकार का यू-टर्न, फिर भेजा गया सिलेक्ट कमेटी के पास

जयपुर राजस्थान सरकार ने प्रदेश में भूजल प्रबंधन को रेगुलेट करने वाले 'भूजल प्रबंध प्राधिकरण विधेयक' पर एक बार फिर यू-टर्न ले लिया है। सरकार ने इस बिल को फिर से विधानसभा की प्रवर समिति (सिलेक्ट कमेटी) के पास भेजने का निर्णय लिया है।

विधेयक पर विधानसभा में क्या हुआ?

जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने बिल पर हुई बहस के बाद इसे फिर से सिलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे विधानसभा में मंजूरी मिल गई।पिछले साल अगस्त में इस विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजा गया था।फरवरी में कमेटी की रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा बढ़ाई गई थी।अब रिपोर्ट पेश होने के बाद भी सरकार ने बिल को पुनः समीक्षा के लिए भेज दिया।

विपक्ष का विरोध: 'पानी पर पहरा बिठाने की तैयारी'

कांग्रेस विधायकों हाकम अली, रफीक खान और हरिमोहन शर्मा ने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए।विधायकों ने कहा कि यह कानून आम लोगों को पानी के लिए सरकारी अनुमति लेने को मजबूर करेगा।ट्यूबवेल खोदने वाली मशीनों और ट्यूबवेल के रजिस्ट्रेशन के प्रावधानों की आलोचना की गई।'सरकार के पास जलदाय विभाग के कनेक्शनों पर मीटर लगाने तक के संसाधन नहीं हैं, फिर ट्यूबवेल का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा?''अब तक पानी बिना अनुमति उपलब्ध था, इस कानून से आमजन को परेशानी होगी और अफसरशाही बढ़ेगी।'

विधेयक पर सरकार की मंशा

सरकार का दावा: भूजल दोहन को नियंत्रित करने और जल संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए यह बिल लाया गया है।लेकिन सरकार को बार-बार इसका पुनर्मूल्यांकन करना पड़ रहा है, जिससे बिल की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि पानी के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए सख्त कानून जरूरी है, लेकिन इसे व्यावहारिक और न्यायसंगत बनाया जाना चाहिए।

'भूजल प्रबंध प्राधिकरण विधेयक' फिर से सिलेक्ट कमेटी को भेजा गया।विधायकों ने ट्यूबवेल रजिस्ट्रेशन और सरकारी निगरानी पर सवाल उठाए।विपक्ष का आरोप - सरकार अफसरशाही बढ़ा रही, आमजन को दिक्कत होगी।
सरकार का दावा
- भूजल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए सख्त कानून जरूरी।

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