राजस्थान में रीट परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की जनेऊ उतरवाने का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए महिला सुपरवाइजर और पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया है। लेकिन अब भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने इस कार्रवाई को गलत बताते हुए दोनों कर्मचारियों को तत्काल बहाल करने की मांग की है।
राजकुमार रोत ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, "भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के आदेशों का पालन करना ही अब कर्मचारियों के लिए गुनाह बन गया है। डूंगरपुर में रीट परीक्षा के दौरान सरकारी नियमों की पालना कराने वाले दो कर्मचारियों को सस्पेंड करना कहां का न्याय है? क्या अब जाति और धर्म देखकर न्याय करना ही अमृतकाल है?" उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए और दोनों कर्मचारियों को तुरंत बहाल करना चाहिए।
डूंगरपुर जिले में रीट पात्रता परीक्षा के दौरान दो ब्राह्मण अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले जनेऊ उतारने के लिए कहा गया, जिसके बाद ही उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी गई। इस घटना के सामने आने के बाद प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते हुए भजनलाल सरकार की विफलता करार दिया। इसके अलावा, ब्राह्मण और अन्य सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा की और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
विप्र फाउंडेशन के नेता प्यारेलाल शर्मा ने सरकार की कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा, "जनेऊ उतरवाने का कृत्य किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने सही निर्णय लिया, लेकिन अब भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देकर ब्राह्मण समाज के साथ हुए अन्याय को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।"
डूंगरपुर जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की जांच के बाद महिला सुपरवाइजर और कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि, अब इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। देखना यह होगा कि सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या सांसद राजकुमार रोत की मांग पर पुनर्विचार किया जाएगा।
भजनलालजी के नेतृत्व वाली सरकार में सरकारी आदेश की पालना करना ही गुनाह है।
— Rajkumar Roat (@roat_mla) March 3, 2025
डूंगरपुर जिले में REET एग्जाम के दौरान सभी परीक्षार्थियों से आभूषण व धागे निकलवाकर सरकारी आदेश की पालना करने पर प्रधानाचार्य व हैड कॉनिस्टेबल को निलंबित करना कहा का न्याय है ? जाति-धर्म देखकर कानून की कलम… pic.twitter.com/TqT6j6KqJC