जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के इलेक्टोरल डेमोक्रेसी सेशन के दौरान वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत और कमजोरियों पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, चुनावी भ्रष्टाचार और राजनीतिक नेतृत्व से जुड़े कई अहम मुद्दों को उठाया।
सुप्रीम कोर्ट और लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सवाल: सरदेसाई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हर भारतीय के साथ नहीं खड़ा होता।"यह उन लोगों के साथ ज्यादा खड़ा नजर आता है, जिनके पास पावर और पैसा है।"उनका इशारा न्याय व्यवस्था में बढ़ती असमानता और राजनीतिक प्रभाव की ओर था।
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती: मायावती का उदाहरण: सरदेसाई ने इंडियन डेमोक्रेसी की ताकत को बताते हुए मायावती का उदाहरण दिया।उन्होंने कहा कि "एक दलित वर्ग की टेलीफोन ऑपरेटर की बेटी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन सकती है।"
यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत से शीर्ष पद तक पहुंच सकता है।
लोकतंत्र की कमजोरी: सत्ता में आने के बाद क्या बदलता है?: सरदेसाई ने कहा कि पावर में आने के बाद नेता क्या करते हैं, यह लोकतंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।सत्ता हासिल करने के बाद, राजनीतिक नैतिकता और जनसेवा की भावना अक्सर कम हो जाती है।
चुनावों में पैसे की ताकत और भ्रष्टाचार:उन्होंने महाराष्ट्र चुनावों का उदाहरण देते हुए बताया कि एक प्रत्याशी ने 75 करोड़ खर्च किए, फिर भी हार गया। दूसरे ने उससे भी ज्यादा पैसे खर्च किए, लेकिन जीत नहीं पाए। एक वोट के लिए 5-5 हजार रुपए तक खर्च किए गए। यह चुनावी प्रणाली में बढ़ते भ्रष्टाचार और पैसों के प्रभाव को दर्शाता है।
पुराने नेताओं की मिसाल, आज की राजनीति पर अफसोस:उन्होंने कहा कि "इस देश में ऐसे भी नेता रहे हैं, जिन्होंने खुद को देश के लिए समर्पित किया था।""पंडित नेहरू जैसे नेता अब हमारे पास नहीं हैं।" उन्होंने इशारा किया कि आज की राजनीति में जनसेवा से ज्यादा व्यक्तिगत स्वार्थ हावी है।
निष्कर्ष: लोकतंत्र को पारदर्शिता और नैतिकता की जरूरत: राजदीप सरदेसाई के अनुसार भारतीय लोकतंत्र में:सत्ता तक पहुंचने के अवसर हैं, लेकिनसत्ता में आने के बाद नैतिकता और पारदर्शिता की कमी है। संविधान के अनुसार हर किसी को न्याय मिलने की गारंटी है, लेकिन पावर और पैसा रखने वाले लोगों को प्राथमिकता मिलती है।
उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को सुधारने, न्याय प्रणाली को निष्पक्ष बनाने और राजनीति में नैतिकता को बहाल करने की सख्त जरूरत है।