जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के चौथे दिन सांसद और लेखक शशि थरूर ने इंडिया अलायंस, हिंदुत्व और लोकतंत्र पर अपनी राय साझा की। उनके बयानों ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर नई बहस छेड़ दी। उन्होंने कहा कि इंडिया अलायंस के दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने पर न तो जश्न मनाया जाना चाहिए और न ही इसे लेकर शोक व्यक्त करना चाहिए। थरूर ने इस मुद्दे पर कहा, "इंडिया अलायंस का मर्सिया पढ़ा जाना चाहिए, न कि जश्न।" थरूर ने हिंदुत्व और हिंदुइज्म के बीच फर्क बताते हुए कहा: हिंदुत्व और हिंदुइज्म दो अलग-अलग चीजें हैं।" उन्होंने कहा कि हिंदुत्व केवल एक राजनीतिक हथियार है, जबकि हिंदुइज्म एक दर्शन और आस्था का स्वरूप है।" "हिंदुत्व, हिंदुइज्म को सीमित करता है और इसे एक ईश्वर, एक मंदिर, एक नेता, एक देश और एक चुनाव तक बांध देता है।" थरूर ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में विविधता और भक्ति की जो गहराई है, वह हिंदुत्व से मेल नहीं खाती।इंडिया अलायंस पर शशि थरूर की टिप्पणी:शशि थरूर ने कहा कि जब इंडिया अलायंस बना था, तभी यह स्पष्ट था कि यह राज्यों में काम नहीं करेगा।" उन्होंने कहा कि हम लोकसभा चुनाव के दौरान साथ थे, लेकिन अब यह राज्यों के राजनीतिक चरित्र पर निर्भर करता है।"