जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन आयोजित सेशन "तेरी दीवानी: शब्दों के पार" में प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने अपनी जिंदगी, संघर्ष, सफलता और भारत में कला की स्थिति पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि"जब अनाथ होते हैं, तो दुनिया अलग हो जाती है"
कैलाश खेर ने कहा कि "मुझे नहीं पता कि मैं बदला हूं या नहीं, लेकिन मैंने औरों से सुना है। जब आप अनाथ हो जाते हैं, तो दुनिया अलग हो जाती है।"
उन्होंने अपनी जिंदगी का खुलासा करते हुए कहा कि मैंने दिल्ली में ट्रक तक चलाया। पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने गए तो कॉमर्शियल और प्राइवेट लाइसेंस का अंतर ही नहीं पता था। एजेंट ने जब कहा कि ढाई सौ रुपए लगेंगे, लेकिन पैसे नहीं थे, तो दो साल ट्रक चलाया।
कैलाश खेर ने कहा कि "दुनिया ने बहुत हर्ट किया, बहुत रिजेक्ट किया।" उनका कहना था कि मुंबई में भी काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पहला ब्रेक एक जिंगल से मिला, लेकिन मुझे पता ही नहीं था कि जिंगल क्या होता है। "पहला गाना ‘अल्लाह के बंदे’ गाया और फिर सब बदल गया। उनका कहना था कि जो कभी रिजेक्ट कर रहे थे, वे अब ढूंढने लगे थे।
कैलाश खेर ने कहा कि "बाकी दुनिया एक तरफ और दिल्ली एक तरफ। यहां असंभव को संभव बना दिया जाता है। दिल्ली में हर बात पर सबसे पहले हां आ जाती है। उन्होंने कहा कि भारत में कला को छुपकर सीखना पड़ता है"उन्होंने कहा कि "जब लोग साइंस और मैथ्स में अपना करियर बना रहे थे, तब मैं कला में छुपकर कुछ सीख रहा था।"