Thursday, 28 November 2024

अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे पर सिविल कोर्ट ने याचिका सुनने योग्य मानी


अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे पर सिविल कोर्ट ने याचिका सुनने योग्य मानी

अजमेर सिविल कोर्ट ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे पर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका को सुनने योग्य माना है। सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने इस मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिका का दावा: हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में 1911 में रिटायर्ड जज हरविलास शारदा द्वारा लिखी गई पुस्तक "अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव" का हवाला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि दरगाह का निर्माण मंदिर के मलबे पर हुआ था।

याचिका में यह भी कहा गया है कि दरगाह के गर्भगृह और परिसर में पहले एक जैन मंदिर मौजूद था। इस दावे के आधार पर याचिकाकर्ता ने जांच और सत्यापन की मांग की है।

कोर्ट का निर्णय:

सिविल कोर्ट ने याचिका को सुनने योग्य मानते हुए तीन प्रमुख संस्थाओं को नोटिस जारी किया है:

  1. अल्पसंख्यक मंत्रालय

  2. दरगाह कमेटी, अजमेर

  3. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI)

इनसे मामले में 20 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई के लिए पक्ष रखने को कहा गया है।

मामले का महत्व:यह मामला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। याचिका में उठाए गए सवाल न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं, बल्कि दरगाह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी प्रकाश डालते हैं।

पुस्तक का संदर्भ:अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव पुस्तक में दावा किया गया है कि वर्तमान दरगाह का निर्माण संकट मोचन महादेव मंदिर और जैन मंदिर के मलबे पर हुआ था। यह दावा विवाद को और गहरा कर सकता है।

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