हाईकोर्ट ने जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा जोन-12 में प्रस्तावित रोजड़ा फार्म हाउस स्कीम पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। यह स्कीम चरागाह भूमि पर विकसित की जा रही है, जो कानूनी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विवादास्पद है।
रामजी लाल यादव और भगवान सहाय भदाला ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की है। उनके अधिवक्ता अनीष भदाला ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों के अनुसार, चरागाह भूमि का उपयोग अन्य किसी उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति इंदरजीत सिंह और न्यायमूर्ति विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने जेडीए से स्पष्टीकरण मांगा है कि यदि चरागाह भूमि की श्रेणी को बदला नहीं जा सकता, तो उस पर फार्म हाउस कैसे बनाए जा सकते हैं। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर 2024 को निर्धारित की है।
यह पहली बार नहीं है जब जयपुर में चरागाह भूमि पर अवैध निर्माण का मामला सामने आया है। पूर्व में भी जेडीए ऐसे विवादों में उलझा रहा है, जहां चरागाह भूमि का उपयोग व्यावसायिक और आवासीय उद्देश्यों के लिए किया गया है, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों में आक्रोश है।
याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से जनहित याचिका में मांगें की हैं कि रोजड़ा फार्म हाउस स्कीम को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। चरागाह भूमि का पुनर्निर्माण और संरक्षण सुनिश्चित किया जाए। जेडीए और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिन्होंने इस अवैध निर्माण को अनुमति दी।
इस मामले में हाईकोर्ट का निर्णय न केवल रोजड़ा फार्म हाउस स्कीम के भविष्य को तय करेगा, बल्कि राजस्थान में चरागाह भूमि संरक्षण से जुड़े अन्य विवादित मामलों पर भी प्रभाव डालेगा।