भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद जय आहूजा ने अपने घर पर समर्थकों की एक महत्वपूर्ण मीटिंग बुलाई थी। इस स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गृहराज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म के नेतृत्व में एक टीम रामगढ़ भेजी। बेढ़म ने समर्थकों के बीच जाकर अपनी बात रखी और अंततः जय आहूजा ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया।
मीटिंग के दौरान, जय आहूजा ने कहा, "राजनीति आएगी चली जाएगी।" उनके भावुक शब्दों ने सभी को छू लिया, और उन्होंने कहा, "तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे," इस पर उनकी आंखों में आंसू आ गए। उनकी भावनाएं स्पष्ट थीं—ये आंसू बेचारगी के नहीं, बल्कि गहरी भावना के थे।
रामगढ़ में मंगलवार को गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने भाजपा नेता जय आहूजा के घर आए समर्थकों को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा, "जय रामगढ़ का नेता नहीं है, बल्कि वह राजस्थान का नेता हैं। मैं जय का भाई होने के नाते, बीजेपी का कार्यकर्ता और भजनलाल के मंत्रिमंडल का हिस्सा होते हुए यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जय भाई विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा।"
जवाहर सिंह ने अपने संबोधन में समर्थकों से निवेदन किया कि यदि वह कोई बात कहें, तो उसका पालन किया जाए। यह स्पष्टता पार्टी की रणनीति और जय आहूजा की भूमिका को लेकर समर्थकों में संतोष प्रदान करने के लिए आवश्यक थी।
विराट नगर के विधायक कुलदीप धनकड़ ने सीएम से मिलकर रामगढ़ में आहूजा को मनाने का प्रयास किया। उन्होंने आश्वासन दिया, "मैं एक वचन देकर जाना चाहता हूं कि जय भइया केवल एक विधानसभा या जिला नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान में बीजेपी के साथ रहकर सेवा करेंगे।"
इस प्रकार, जय आहूजा की भावुकता और उनके समर्थकों के साथ गहरे संबंध ने इस स्थिति को एक नया मोड़ दिया है, और उनके लिए भविष्य में पार्टी और राज्य के प्रति प्रतिबद्धता का एक नया दृष्टिकोण खुला है।