बीकानेर। बीकानेर के पुष्करणा समाज का “पुष्करणा ओलिंपिक” सावा सामूहिक विवाह आयोजन इस बार 10 फरवरी को आयोजित होगा। समाज के ज्योतिषियों, पंचांगकर्ताओं और विद्वानों ने विजयादशमी के दिन गौरी शंकर महादेव मंदिर में गहन शास्त्रोक्त चर्चा के बाद तारीख तय की। देर रात तक चली चर्चा में पहले 10 और 19 फरवरी की तारीखें सामने आई थीं, लेकिन अंततः 10 फरवरी को सर्वसम्मति से शुभ मुहूर्त माना गया। इस बार सावे में करीब 200 जोड़े विवाह बंधन में बंधेंगे।
पुष्करणा समाज में पिछले सौ वर्षों से अधिक समय से यह अनूठी परंपरा निभाई जा रही है। पहले यह आयोजन चार साल में एक बार होता था, लेकिन अब इसे हर दो साल में आयोजित किया जाने लगा है। सावे का मुख्य उद्देश्य समाज में विवाह पर होने वाले खर्च को कम करना है। इस दिन सभी विवाह एक साथ होने के कारण बारात और मेहमानों की संख्या काफी सीमित हो जाती है। महंगे विवाह स्थलों की जगह परिवारजन अपने घर के बाहर ही टेंट लगाकर विवाह संपन्न कराते हैं।
सावे के दिन विवाह करने वाले परिवारों को समाज से व्यापक सहयोग भी मिलता है। वर-वधु के परिवारों को समाजजन आर्थिक मदद देते हैं, जिसे “बनावे” कहा जाता है। इसके अलावा गरीब परिवारों को गुप्त दान भी किया जाता है। कई लोग तेल, घी, अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं, वहीं कुछ लोग मंडप और सजावट का पूरा खर्च उठाते हैं। सामाजिक संस्थाएं भी इस आयोजन में सहयोग के लिए आगे आती हैं।
इस दिन एक साथ सैकड़ों शादियां होने के कारण यह आयोजन न केवल समाज में पारस्परिक सहयोग और सामूहिकता की मिसाल प्रस्तुत करता है, बल्कि विवाह समारोहों में दिखावे और अत्यधिक खर्च की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाता है। यही कारण है कि पुष्करणा सावा को “पुष्करणा ओलिंपिक” भी कहा जाता है।